शिव और विष्णु

शिव और विष्णु में कौन बड़ा और श्रेष्ठ है ?

शिव और विष्णु दोनों ही सनानत धर्म के दो सबसे महत्वपूर्ण ईश्वरीय सत्ताएं हैं। भगवान शिव और विष्णु की पूजा अनंत काल से सनातन धर्म में की जाती रही है। जहां शिव को योगीराज कहा जाता है वहीं विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को योगेश्वर भी कहा जाता है।

शिव और विष्णु दोनों में एकता है

वेदों में जहां शिव और विष्णु दोनों को ही इंद्र , वरुण आदि देवताओं से कम स्थान मिला है और दोनों को लेकर सूक्तों की रचनाएं भी कम की गई हैं, वहीं पौराणिक और महाकाव्य काल तक आते – आते दोनों ईश्वरीय सत्ताएं सबसे महत्त्पूर्ण हो जाती हैं।

त्रिदेवों में ब्रम्हा जी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है, विष्णु को जगत का पालक माना जाता है तो वहीं शिव जी को सृष्टि का संहारकर्ता माना जाता है। लेकिन इन तीनों से श्रेष्ठ कौन हैं इसको लेकर मतभेद रहे हैं।

सृष्टि से पहले कौन था -शिव या विष्णु

  • विष्णु पुराण, श्रीमद् भागवत, श्रीमद् भगवद्गीता, ब्रम्हवैवर्त पुराण आदि में विष्णु को ही जगत का मूल और उत्पत्ति कर्ता माना जाता है जिससे ब्रम्हा और शिव दोनों ही उत्पन्न हुए हैं।
  • शिव पुराण और लिंग पुराण विष्णु की जगह भगवान शिव को ही सृष्टि का मूल मानता है और उनसे ही ब्रम्हा और विष्णु की उत्पत्ति बताता है।
  • ब्रह्मा जी को त्रिदेवों में सृष्टि का रचयिता तो माना गया है लेकिन उनकी पूजा नहीं की जाती रही है। जबकि विष्णु जी की पूजा और शिव जी की उपासना हमेशा से की जाती रही है। इसलिए इन दो ईश्वरीय सत्ताओं को ही सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।
  • कई पुराणों में विष्णु और शिव जी के बीच श्रेष्ठता के विवाद को लेकर कई कथाएं हैं। शिव पुराण में शिव एक स्तंभ के रुप में प्रगट होते हैं और विष्णु और ब्रह्मा से खुद को श्रेष्ठ और प्राचीन सिद्ध करते हैं।
  • श्रीमद् भागवतपुराण, श्रीमद् भगवद्गीता, महाभारत के विष्णुसहस्त्रनाम में रुद्र अर्थात् शिव जी को अपने से उत्पन्न बताते हैं
  • लेकिन इस विवाद को खत्म किया गया रामचरितमानस में । तुलसी ने शिव को विष्णु का और विष्णु को शिव का उपास्य बताकर इस विवाद को खत्म कर इनके बीच मेल स्थापित करा दिया और यह घोषणा कर दी कि हर और हरि में कोई भेद नहीं है।

शिव और विष्णु के बीच भेद क्या- क्या हैं?

शिव और विष्णु की उपासना पद्धति एकदम एक दूसरे से विपरीत है। जहां विष्णु भगवान की पूजा में कर्मकांडो और शुद्धता को ज्यादा महत्त्व दिया जाता है, वहीं भगवान शिव की पूजा के लिए कोई विशेष कर्मकांड की अनिवार्यता नही हैं।

शिव को तुलसी नहीं चढ़ाते और विष्णु को बेलपत्र नहीं, ऐसा क्यों?

विष्णु जी को जहां तुलसी पत्र चढ़ाया जाता है वहीं शिव जी के उपर तुलसी के पत्र को चढ़ाना निषेध है। विष्णु जी के उपर बेलपत्र को चढ़ाना निषेध किया गया है तो शिव जी के उपर बेल पत्र चढ़ाना अनिवार्य है । शिव जी के उपासक जहां त्रिपुंड लगाते हैं वहीं विष्णु के उपासक उर्ध्वाकार तिलक लगाते हैं। जहां विष्णु जी का तिलक चंदन से लगाया जाता है, वहीं शिव जी के उपासक भस्म का तिलक लगाते हैं। दोनों के तिलकों में भारी अंतर देखा गया है।

विष्णु जी का जलाभिषेक शँख के द्वारा किया जाता है तो शिव जी को जल शँख से नहीं चढ़ाया जाता बल्कि इसके लिए शिवलिंग पर श्रृंगी नामक धातु के पात्र से जल चढ़ाया जाता है। शिव जी को तांबे के लोटे से भी जल चढ़ाया जाता है ।

शिव के तीन नेत्र और विष्णु के दो नेत्र क्यों हैं?

शिव जी को त्रिनेत्रधारी कहा गया है और उनका तीसरा नेत्र अग्नि हैं जिससे वो क्रोध में आकर किसी को भी भस्म कर सकते हैं, वहीं विष्णु जी के सिर्फ दो नेत्र ही हैं जो चंद्रमा और सूर्य हैं। विष्णु जी लगातार शयन करते रहते हैं तो शिव की हमेशा समाधि में दिखाये गए हैं।

शिव जी की पत्नी माता पार्वती हमेशा उनके बराबर के आसन पर बैठी दिखाई जाती रही हैं, वहीं भगवान विष्णु की पत्नी माता लक्ष्मी हमेशा विष्णु जी के चरणों की सेवा करते दिखाई जाती रही हैं।

भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों को ही नाग बहुत प्रिय रहे हैं। जहां भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शय्या पर शयन करते दिखाए जाते रहे हैं, वहीं भगवान शिव अपने गले में नागराज वासुकि को लपेटे रहते हैं।

शिव को धतुरा और विष्णु को कमल है प्रिय

भगवान शिव को वे फूल और फल चढ़ाए जाते हैं जो गंध रहित और आकर्षण रहित हैं। भगवान शिव को धतुरे के फूल और धतुरे का फल चढ़ाया जाता है । जबकि भगवान विष्णु को कमलनयन भी कहा जाता है। भगवान विष्णु को कमल के पुष्प और वैजयंति की माला चढ़ाई जाती है।

भगवान शिव को दूध का अभिषेक किया जाता है और उनके शिवलिंग पर सावन के महीने  में और रुद्राभिषेक में दूध से स्नान कराने की परंपरा है, वहीं भगवान विष्णु स्वयं दूध अर्थात क्षीर के सागर में शयन करते हैं। लेकिन भगवान विष्णु को दूध नहीं बल्कि उससे बने पदार्थों जैसे खीर, पायस, पंचामृत आदि चढ़ाया जाता है।

भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों ही महान धनुर्धारी हैं। भगवान शिव के पास पिनाक नामक धनुष है तो भगवान विष्णु के पास शारंग नामक दिव्य धनुष है। लेकिन दोनों का मुख्य अस्त्र अलग- अलग है। भगवान शिव त्रिशूल धारण करते हैं तो भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र धारण करते हैं।

शिव पर्वत पर और विष्णु समुद्र में क्यों रहते हैं?

भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों के ही निवास स्थानों में बहुत असमानता है। जहां भगवान विष्णु क्षीर सागर के जल में शयन करते हैं। जल को संस्कृत में नार भी कहते हैं इसलिए नार में शयन करने की वजह से विष्णु को नारायण भी कहते हैं। जबकि भगवान शिव बर्फ से ढंके कैलाश पर्वत पर विराजते हैं इसलिए उन्हें गिरीश भी कहते हैं।

जहां विष्णु को विष्णु सहस्त्रनाम में ब्राह्म्णप्रिय कहा गया है और उन्हें देवताओं का रक्षक कहा गया है, वहीं भगवान शिव के लिए राक्षस, देवता, दैत्य, दानव सभी बराबर हैं। भगवान शिव ने राक्षसों को भी अपनाया है और उनकी रक्षा का वचन दिया है।

भगवान शिव के लिए महेश्वर और महादेव की उपाधियों का प्रयोग किया जाता है तो भगवान विष्णु के लिए परमात्मा और परमेश्वर आदि उपाधियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। दोनों ही उनके उपासको के लिए हमेशा से श्रेष्ठ रहे हैं और जगत के आधार रहे हैं।

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