‘अयोध्या’ जिसका शाब्दिक अर्थ है जिसे ‘युद्ध में जीता न जा सके’ । शुद्ध सनानत धर्म के शास्त्रों के अनुसार अयोध्या की स्थापना विवस्वान( सूर्य) के पुत्र मनु ने की थी, शास्त्रो के मुताबिक कोसल राज्य की राजधानी बताया गया है । असलीअयोध्या को ही श्री नारायण हरि विष्णु के मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार श्री राम की जन्मभूमि भी कहा जाता है । लेकिन अयोध्या की वास्तविक स्थिति क्या थी क्या वो भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख नगर है या फिर इसकी भौगोलिक और पौराणिक स्थिति को लेकर जो संशय प्रगट किये जा रहे हैं उसमे कुछ सच्चाई भी है?
कितनी अयोध्या किसकी अयोध्या :
वैसे तो यह पूर्ण सत्य है कि अयोध्या वर्तमान उत्तर प्रदेश का एक महान धार्मिक नगर है और आदिकाल से वह कोसल प्रदेश की राजधानी रही है । लेकिन इसके अलावा भी असलीअयोध्या के नाम पर और अयोध्या से प्रेरित कई ऐसे नगर भी हैं जिनका नाम असलीअयोध्या पर पड़ा है और साथ ही वो अयोध्या होने का दावा करते हैं । भारत मे ही नहीं दुनिया के कुछ और भी देश हैं जो अपने यहां अयोध्या के होने का दावा करते हैं।
अन्य देशों में अयोध्या नगरी ? :
वास्तविक अयोध्या तो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में ही हैं लेकिन इसके अलावा चार अन्य देशो में भी अयोध्या नाम से या इस नगर से प्रेरित नगर हैं । इसमें पहला नगर थाइलैंड देश में हैं जिसका नाम ‘अयोत्थिया’ है । यह नाम अयोध्या के उपर ही रखा गया है । जिस वक्त थाइलैंड में अयोत्थिया की स्थापना की गई थी उस वक्त थाइलैंड में हिंदू धर्म का बोलबाला था । वहां के राजपरिवार खुद को अयोध्या से जोड़ कर देखते थे। अयोत्थिया की स्थापना 1351 ईस्वी में थाइलैंड के राजा यू थांग ने की थी । इसे उन्होनें अपनी राजधानी भी बनाया था ।
इसके अलावा दक्षिण कोरिया के राजा भी खुद को अयोध्या से जोड़ते रहे हैं । एक कथा के अनुसार अयोध्या की एक राजकुमारी का विवाह कोरिया के राजा ग्वेमग्वान गय से हुई थी । यह राजकुमारी भारत के अयोध्या से वहां गई थीं ।इस राजकुमारी का नाम ह्यू ह्वांग ओके था । कोरिया की अधिकांश जनता खुद को इन्ही राजकुमारी से उत्पन्न बताती है।
इंडोनेशिया का एक शहर ‘योग्यकर्ता’ का नाम भी अयोध्या से ही निकला हुआ बताया जाता है । यह नगर इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर है । ‘योग्यकर्ता’ या ‘जोगकर्ता’ का नाम अयोध्या से ही बना है जिसका अर्थ होता है एक शहर जो समृद्ध होने के योग्य हो ।
- इसके अलावा नेपाल की तरफ से भी एक दावा आया है जिसके अनुसार ‘अयोध्या’ नेपाल में स्थित एक गांव है जहां श्री राम का जन्म हुआ था और उनका नेपाल के ही ‘जनकपुर’ में जन्मी माता सीता से विवाह हुआ था । इस दावे के अनुसार अयोध्या का वास्तविक स्थान भारत के वीरगंज जो नेपाल के पास ही है उसके समीप था । और आज यह स्थान नेपाल में पड़ता है ।इस दावे के अनुसार नेपाल के वर्तमान ‘थोरी’ गांव ही प्राचीन अयोध्या थी जहां श्री राम का जन्म हुआ था । इस दावे का आधार 1814 ई के नेपाली कवि भानुभक्त की रचना है जो वाल्मीकि रामायण का नेपाली अनुवाद है
- नेपाल के इस दावे के मुताबिक ऋषि वाल्मीकि का आश्रम भी नेपाल के ही ‘रिदी’ में था, जहां दशरथ जी ने पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ किया था और श्री राम का जन्म हुआ था ।
- हालांकि यह सत्य है कि बिहार और नेपाल से जुडा भारत का ही एक शहर वाल्मीकिनगर भारत नेपाल सीमा पर ही स्थित है और यह भी माना जाता है कि वाल्मीकि का आश्रम उसी इलाके में था । लेकिन इस दावे का सत्यता को नकारने के लिए दो महत्वपूर्ण तथ्य है ।
- पहला ये कि वाल्मीकि रामायण , रामचरितमानस और दूसरे राम कथाओं के मुताबिक दशरथ ने अयोध्या में ही पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया था और इस यज्ञ का वाल्मीकि से कोई लेना देना नहीं था बल्कि इस यज्ञ को करवाने वाले ऋषि का नाम ऋष्यशृंग था जो अंग ( वर्तमान भागलपुर, मुंगेर, बिहार) नरेश के दामाद और शांता के पति थे ।
- दूसरा वाल्मिकी जी का आश्रम सभी ग्रंथों में तमसा नदी के तट पर बताया गया है जो वर्तमान मउ और गोरखपुर( उत्तर प्रदेश) के पास से बहती है । हां वर्तमान वाल्मीकि नगर में हो सकता है कि वाल्मीकि ऋषि ने तपस्या की हो और यहां उन्होंने अपना कुछ वक्त बिताया हो ।
दूसरे धर्मों में अयोध्या का जिक्र :
अन्य धर्मों में भी अयोध्या का विस्तार से जिक्र किया गया है जिसमें प्राचीन जैन धर्म और बौद्ध धर्म के अलावा सबसे नए और जागृत धर्म सिक्ख धर्म भी शामिल हैं जैन धर्म के मुताबिक अयोध्या में उनके पांच तीर्थंकरों – ऋषभनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अवंतनाथ का जन्म हुआ था जैन धर्म के अनुसार अयोध्या कोसल जनपद (वर्तमान उत्तर प्रदेश ) की राजधानी थी । जैन ग्रंथों के अनुसार भगवान महावीर ने भी यहां वास किया था ।
जैन धर्म के ही समकालीन बौद्ध धर्म में भी अयोध्या या साकेत का बराबर वर्णन मिलता है । बौद्ध धर्म के अनुसार भगवान बुद्ध की शिष्या विशाखा ने भगवान बुद्ध से अयोध्या में ही बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी और भगवान बुद्ध अयोध्या आए थे।
सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु नानक जी और दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का नाता तो अयोध्या से बहुत ही गहरा रहा है । सिक्ख धर्म के दसवें गुरु महान गुरु गोबिंद सिंह जी ने ‘दशम ग्रंथ’ की रचना की और उन्होंने अपने और गुरु नानक जी को श्री राम के कुल का वंशज होने का रहस्य बताया । उन्होंने श्री राम के दोनों पुत्रों लव और कुश के द्वारा वर्तमान अयोध्या से बाहर निकल कर वर्तमान पाकिस्तान के दो शहरों को बसाने की बात भी कही । ‘दशम ग्रंथ’ के अनुसार लव ने ‘लाहौर’ और कुश ने ‘कसूर’ नगरों को बसाया –
तहि तिनै बांधे दुई पुरवा ।
एक कसूर दुतीय लहुरवा ।।
अवधपुरी ते दोउ बिराजी ।
निरख लंक अमरावति लाजी ।।
यही कथा कालिदास के ‘रघुवंशम’ में भी मिलती है जिसमें लव और कुश के द्वारा दो नगरों को स्थापित करने की कथा है । कालिदास के रघुवंशम के अनुसार लव ने ‘शरावती’ और कुश ने ‘कुशावती’ को अपनी राजधानी बनाया ।
रघुवंशम के अनुसार एक रात अयोध्या की देवी कुश के स्वप्न में आईं और उन्होंने अयोध्या के वैभव के खत्म होने की बात कही। अयोध्या की देवी ने कुश से कहा कि वो वापस अयोध्या को बसाएं । कुश वापस अयोध्या लौटते हैं और उसे फिर से वैभवशाली बना देते हैं ।
राम कथाओं में अयोध्या :
वाल्मीकि रामायण, बाल कांड के सर्ग पांच में विशेषरुप से अयोध्या नगरी का ही वर्णन है । श्री राम के समकालीन महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण में अयोध्या का वर्णन कुछ इस प्रकार है –
कोसलो नाम मुदितः स्फीतो जनपदो महान् ।
निविष्टः सरयूतीरे प्रभूतधनधान्यवान् ।। 1-5-5
अर्थात- एक महान राज्य जिसका नाम कोसल था , जो अन्न और संपदाओं से परिपूर्ण था और सरयू नदी के किनारे अवस्थित था ।
अयोध्या नाम नगरी तत्रासील्लोकविश्रुता ।
मनुना मानवेन्द्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम् ।। 1-5-6
अर्थात- उस कोसल राज्य में विश्व प्रसिद्ध अयोध्या नगरी थी , जिसकी स्थापना स्वयं मनुष्यों के इंद्र मनु ने की थी ।
तां तु राजा दशरथो महाराष्ट्रविवर्धनः ।
पुरीमावासयामास दिवं देवपतिर्यथा ।। 1-5-9
अर्थात – जिस प्रकार इंद्र का राज्य स्वर्ग है उसी प्रकार दशरथ का यह राज्य था ।
इस वर्णन से यह स्पष्ट होता है कि अयोध्या कोसल की राजधानी थी । अर्थात जिस अयोध्या को श्री राम से जोड़ा जाता है वो भारत के ही उत्तर प्रदेश की वही अयोध्या है जिसे हम आज भी दिव्य नगर मानते हैं । दूसरे यह अयोध्या सरयू के किनारे है । अर्थात ये हो सकता है कि अयोध्या नाम से कोई दूसरा नगर भी हो लेकिन श्रीराम की अयोध्या सरयू नदी के तट पर ही थी या दूसरे शब्दों में कहें तो उत्तर प्रदेश ( भारत) में ही थी ।
तुलसीदास रचित रामचरितमानस. कम्ब रचित तमिल रामायण, इंडोनेशियन रामायण, कृतिवास रचित बंगला रामायण इन सभी ग्रंथों में भी अयोध्या को सरयू नदी के तट पर स्थित और कोसल जनपद की राजधानी बताया गया है ।