सनातन हिंदू धर्म की मान्यता के चारों युगों सतयुग , त्रेता, द्वापर और कलियुग में धीरे धीरे धर्म की हानि होती जाएगी। इसका जिक्र हमारे सनातन ग्रंथों में बार- बार आता है । महाभारत, श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण और कई अन्य बाद के ग्रंथों जैसे रामचरितमानस में कलियुग के प्रभावों का वर्णन विस्तार से किया गया है। शुद्ध सनातन आपको महाभारत, श्रीमद् भागवत पुराण और रामचरितमानस के आधार पर ये बताने जा रहा है कि कलियुग में क्या क्या बुरा होने वाला है और कलियुग के आने से आम जीवन में क्या क्या दुष्प्रभाव सामने आएंगे?
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महाभारत में कलियुग का वर्णन
महाभारत के वन पर्व के अध्याय 188 वें में ऋषि मार्कण्डेय युधिष्ठिर को कलियुग के दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से बताते हैं । हजारों सालों पहले लिखे महान महाकाव्य महाभारत के वन पर्व को पढ़ने से पता चलता है कि आज कलियुग में जो कुछ हो रहा है उसकी सटीक भविष्यवाणी उसी वक्त कर दी गई थी। महाभारत के वन पर्व के इस श्लोक को देखिए-
हिंसाभिरामश्च जनस्तथा सम्पद्यते शुचिः ।
अधर्मफलमत्यर्थं तदा भवति चानघ ।।
अर्थात् : कलियुग में सभी लोग हिंसा में ही सुख मानने वाले होंगे तथा अपवित्र रहेंगे। उस समय अधर्म का फल बहुत अधिक मात्रा में मिलेगा।
लोग बात बात पर झूठ बोलेंगे और लोगों की बातों मे सत्य का अंश बहुत ही कम होगा । महाभारत के इस श्लोक को देखिए –
अल्पसाराल्पदेहाश्च तथा सत्याल्पभाषिणः
अर्थात- मनुष्य नाटे कद के होंगे । उनकी शारीरक शक्ति बहुत कम हो जाएगी और उनकी बातों में सत्य का अँश बहुत कम होगा।
श्रीमद्भागवत में कलियुग का वर्णन
अब श्रीमद्भागवतम के इस श्लोक को देखते हैं । यहाँ भी कमोबेश यही बातें कही गई हैं कि कलियुग में लोग घमंडी होंगे और बात बात पर झूठ बोलेंगे
यदा मायानृतं तन्द्रा निद्रा हिंसा विषादनम् ।
शोको मोहो भयं दैन्यं स कलिस्तामसः स्मृतः ।।
श्रीमद्भागवत, स्कंध 12, श्लोक 30
अर्थात् – जिस समय झूठ- कपट तंद्रा निद्रा , हिंसा- विषाद, शोक- मोह भय और दीनता की प्रधानता हो , उसे तमोयुग प्रधान कलियुग समझना चाहिए।
रामचरितमानस में कलियुग का वर्णन
तुलसीदास जी ने अपने महान ग्रँथ श्रीरामचरितमानस में भी कलियुग के प्रभावों का वर्णन किया है।
सुनु खगेस कलि कपट हठ दंभ द्वेष पाषंड ।
मान मोह मारादि मद ब्यापि रहे ब्रह्मंड ।।
अर्थात्- हे पक्षिराज गरुड़ जी सुनिए ! कलियुग में कपट , हठ , दुराग्रह. घमंड, द्वेष , पाखंड , मान , मोह और काम आदि और मद समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त हो गए।
गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस में कलियुग में झूठे लोगों की प्रधानता को लेकर और भी ऐसी ही बातें कही गई है।
जो कह झूँठ मसखरी जाना।
कलिजुग सोई गुनवंत बखाना ।।
रामचरितमानस, उत्तरकांड
अर्थात्- जो झूठ बोलता है और मसखरी करता है वही कलुयग में बुद्धिमान और गुणवान कहा जाता है।
कलियुग के व्यापारी बेईमानी करेंगे
सनातन धर्म ग्रंथों में कलियुग में होने वाले व्यापार में बेईमानी को लेकर भी बहुत कुछ कहा गया है। महाभारत के वन पर्व के इस श्लोक को देखिए तो लगेगा कि आज के दौर में ठीक ऐसी ही बेईमानी से हम सभी रोज दो चार होते हैं-
भूयिष्ठँ कूटमानैश्च
पण्यं विक्रीणते जनाः ।
वणिजश्च नरव्याघ्र बहुमाया भवन्युत ।।
महाभारत, वन पर्व , अध्याय 188 , श्लोक 53
अर्थात् – लोग बाजारों में झूठे माप तौल बना कर बहुत सा माल बेचते रहेंगे। नरश्रेष्ठ ! उस समय के व्यापारी भी बहुत माया जानने वाले होंगे अर्थात धूर्त होंगे।
श्रीमद्भागवतम में भी कलियुग के व्यापारियों के लिए ठीक यही बात कही गई है कि वो कलियुग के दौर में कैसे हेर फेर करेंगे –
पणयिष्यंति वे क्षुद्राः किराटाः कूटकारिणः
अनापद्यपि मंस्यंते वार्तां साधुजुगदुप्सिताम् ।।
श्रीमद्भागवत, स्कंध 12, श्लोक 35
अर्थात् – कलियुग में व्यापारियों के ह्दय भी अत्यंत क्षुद्र हो जाते हैं। वे कौड़ी कौड़ी में लिपटे रहते हैं और थोड़े पैसे के लिए भी धोखाधड़ी करते हैं।
कलियुग में इंसान के शरीर में होगें परिवर्तन
कलियुग में मनुष्यों की हाइट पहले के युगों के मुकाबले बहुत कम हो जाएगी। महाभारत के इस श्लोक को देखिए –
अल्पसाराल्पदेहाश्च तथा सत्याल्पभाषिणः ।।
बहुशून्या जनपदा मृगव्यालावृता दिशः ।।
अर्थात्- मनुष्य नाटे कद के होंगे और उनकी शारीरिक शक्ति बहुत कम हो जाएगी और उनकी बातों में भी सत्य का अँश बहुत कम होगा। यानि वो बात बात पर झूठ बोलेंगे।
इसके अलावा कलियुग में लोग अपनी आत्मा की शुद्धिकरण को छोड़कर अपने शरीर को ही बलवान बनाने के लिए दिन रात जिम जैसे जगहों पर एक्सरसाइज़ करते रहेंगे । महाभारत के इस श्लोक को देखिए-
इह लौकिकमीहन्ते मांसशोणितवर्धनम्।
अर्थात- लोग अपने शरीर के माँस और रक्त को बढ़ाने जैसे सांसारिक कर्मों में ही मग्न रहेंगे।
लेकिन इसके बाद भी लोगों को वो स्वास्थ नहीं मिल पाएगा जैसे दूसरे युगों में होता था। देखिए इस श्लोक को –
भवन्ति षोड़शे वर्षे नराः पलितिनस्तथा।
आयुःक्षयो मनुष्याणां क्षिप्रमेव प्रपद्यते ।।
अर्थात्- सोलहवे वर्ष में ही लोगों के बाल सफेद होने लगेंगे। और उनकी आयु भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगी ।
आज कम उम्र में बालों के सफेद होने की समस्या आम है। इसके अलावा अब लोगों की कम आयु में अलग अलग तरीके की बीमारियों से ग्रस्त होने की खबरें भी आती रहती हैं।
कलियुग में मां बाप का सम्मान कम हो जाएगा
आज हम हरेक शहर में ओल्ड एज होम्स का प्रचलन बढ़ते देख रहे हैं। बूढ़े माँ बाप को अक्सर लोग बेसहारा छोड़ देते हैं। इसकी भविष्यवाणी भी सनातन ग्रंथों में पहले ही कर दी गई थी। श्रीमद्भागवत इसे श्लोक को देखिए, हजारों सालों पहले क्या कहा गया था इन कलियुग के बच्चों के बारे में –
न रक्षियष्यंति मनुजाः स्थविरौ पितरावपि ।
पुत्रान् सर्वार्थकुशलान् क्षुद्राः शिश्नोदरम्भरा ।।
अर्थात्- कलियुग के क्षुद्र प्राणी केवल कामवासना की पूर्ति और अपना पेट भरने की धुन मे ही लगे रहते हैं। पुत्र अपने माँ बाप की भी रक्षा और पालन पोषण नहीं करते, उनकी उपेक्षा कर देते हैं।
बेईमानों का बोलबाला, ईमानदारों का न कोई रखवाला
कलियुग में अच्छे लोगों की पूछ कम हो जाएगी और बेइमानों की ही उन्नति होगी । ऐसा हम नहीं कह रहे ऐसा महाभारत के वन पर्व के अध्याय 188 के इस श्लोक में लिखा है –
धर्मिष्ठाः परिहीयन्ते पापीयान् वर्धते जनः ।
धर्मस्य बलहानिः स्याद्धर्मश्च बली तथा ।।
अर्थात- धर्मात्मा पुरुष हानि उठाते दीखेंगे और बड़े बड़े पापी लौकिक दृष्टि से उन्नतिशील दिखेंगे। धर्म का बल घटेगा और अधर्म बलवान होगा।
जिनके पास थोड़ा सा भी पैसा आ जाएगा वो अहंकारी हो जाएंगे और किसी भी व्यक्ति के पैसे को हड़पने की प्रवृत्ति बढ़ती जाएगी –
संचयेन तथाल्पेन भवन्याढ्यमदान्विताः ।
धनं विश्वासतो न्यस्तं मिथो भूयिष्ठशो नराः ।।
हर्तुं व्यवसिता राजन् पापाचारसमन्विताः ।
नैतदस्तीति मनुजा वर्तन्ते निरपत्रपाः ।।
अर्थात् – धनवान अहंकारी हो जाएंगे। यदि किसी ने विश्वास करके अपने धन को धरोहर के रुप में रख दिया तो अधिकांश पापाचारी और निर्लज्ज मनुष्य उस धरोहर को हड़प लेने की चेष्टा करेंगे और उससे साफ कह देंगे कि हमारे यहाँ तुम्हारा कुछ भी नहीं है।
तो देखा आपने हमारे ग्रंथों में जो हजारों वर्षो पहले कलियुग का वर्णन किया गया है वो आज कितना सच साबित हो चुका है।