शुद्ध सनातन धर्म में आद्या शक्ति के महाविद्याओं में दसवीं और अंतिम महाशक्ति हैं मां कमला। मां कमला का स्वरुप मां लक्ष्मी से मिलता जुलता है और ठीक जिस प्रकार मां लक्ष्मी सुख, संपत्ति और संपदा की देवी मानी जाती हैं उसी प्रकार मां कमला भी सुख , संपत्ति और संपदा की महाशक्ति हैं। दोनों का स्वरुप इतना मिलता है कि दोनों में अंतर कर पाना बहुत ही कठिन हैं। जहां मां लक्ष्मी मानव मात्र को जीवन में सुख और संपदा देती हैं उसी प्रकार मां कमला इस ब्रम्हांड और विशेष कर पृथ्वी को प्राकृतिक संपदाओं से भर देती हैं।
क्या मां कमला ही मां लक्ष्मी हैं :
मां कमला भी मां लक्ष्मी की तरह ही कमल पर आसीन हैं। कमल का पुष्प यहां शुद्धता और सात्विकता के साथ साथ उस बात का भी प्रतीक है जो यह बतलाया है कि माया रुपी कीचड़ से उपर आकर ही शुद्धता और सात्विकता को प्राप्त किया जा सकता है। मां लक्ष्मी के दोनों हाथों में कमल के पुष्प हैं। मां लक्ष्मी की तरह मां कमला के भी दोनों हाथों में कमल के पुष्प हैं। लेकिन मां कमला के साथ दो गज या हाथी भी खड़े हैं जो मां कमला पर जल की वर्षा कर रहे हैं। यहां हाथियों के द्वारा जल की वर्षा से तात्पर्य वर्षा ऋतु से है जिसके आगमन से पृथ्वी समस्त प्राकृतिक संपदाओं से भर जाती है।
सुख – संपत्ति की देवी हैं मां कमला :
मां काली से लेकर मां कमला तक पूरे ब्रम्हांड के निर्माण से लेकर उसके संहार और पालन की प्रक्रिया चलती रहती हैं जिसमें समस्त प्राणियों में मानव भी एक लाभार्थी है। मां कमला समस्त प्राणियों के लिए प्रकृति को सुख और संपत्ति से भर देती हैं। एक दूसरी मान्यता है कि वो मां पार्वती की ही प्रकृति स्वरुपा हैं जो समस्त संसार को अन्न जल से भर देती हैं।
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भगवान विष्णु से जुड़ीं हैं मां कमला :
मां कमला को भगवान विष्णु की योगमाया शक्ति से भी जोड़ा जाता है और कमलिका तंत्र के ह्रदय में वास करने वाली महा शक्ति कहा गया है जो संसार का पालन करती हैं। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए भी कमला की अराधना की जाती है। कमलिका तंत्र में मां कमला को सिंह पर विराजित भी दिखाया गया है।