Lord Shiva_Adya Shakti Maa Sati

Navratri: 10 Mahavidyas-Kali the first Mahavidya: मां काली ‘ प्रथम महाविद्या ‘

शुद्ध सनातन आपके लिए लेकर आया है आद्या शक्ति मां सती के 10 शक्ति स्वरुपों की पूजा, प्रार्थना और उनकी कृपा प्राप्त करने की कथाएं। 10 महाविद्या साधना का संबंध भगवान शिव की प्रथम पत्नी माता सती से उत्पन्न 10 स्वरुपों से है। कहा जाता है कि जब माता सती को भगवान शिव ने उनके पिता प्रजापति दक्ष के घर यज्ञ में भाग लेने से रोका तो माता सती ने क्रोध स्वरुप अपनी 10 महाविद्याओं का स्वरुप प्रगट किया। इन्हीं 10 महाविद्याओं की पूजा नवरात्रि के पावन अवसर पर सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है।

10 महाविद्या की उत्पत्ति कैसे हुई? :
  • एक अन्य कथा के मुताबिक एक बार जब भगवान शिव देवी सती से नाराज़ होकर कैलाश छोड़कर जाने लगे, तब देवी सती ने अपने इन 10 स्वरुपों को प्रगट कर भगवान शिव को दसों दिशाओं से घेर लिया और भगवान शिव को रोक लिया।
  • तंत्र शास्त्र में ये मान्यता है कि देवी सती से उत्पन्न इस 10 महाविद्याओं में ही सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार की पूरी प्रक्रिया समाई हुई है। देवी सती से उत्पन्न ये 10 महाविद्याएं वस्तुत दस दिशाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं ।
  •  इसके अलावा ये 10 महाविद्याएं 10 प्रकार की माया से मनुष्य को मुक्त करती हैं। माता सती से उत्पन्न ये 10 महाविद्याएं और कोई नहीं बल्कि आद्या महाशक्ति महामाया जिनसे इस संसार का निर्माण, पालन और संहार होता है, उन्हीं की 10 स्वरुप हैं।
  • आद्या महाशक्ति महामाया के इन 10 स्वरुपों की अराधना करने से ही मनुष्य अपने सारे अज्ञानों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
माँ काली हैं प्रथम महाविद्या :

10 महाविद्याओ में जो सर्वप्रथम महाशक्ति हैं वो हैं- माँ काली या महाकाली। वो ही आद्या शक्ति की प्रथम स्वरुप है ।महाकाली महाकाल के उपर विराजती हैं। जब संसार का लय हो जाता है और कुछ भी शेष नहीं रह जाता तब महाकाली ही क्रियात्मक शक्ति बन कर संसार के निर्माण की शक्ति बनती हैं। महाकाली पंचतत्वों से परे हैं और उनके साथ ही संसार के निर्माण का कार्य प्रारंभ होता है, जिनकी स्तुति ब्रह्मा करते हैं। वही ब्रह्मा, विष्णु और शिव को उतपन्न करती है और संसार के प्रलय के बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव इन्ही में समा जाते हैं।

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माँ काली के स्वरुप का रहस्य :

माँ काली या महाकाली के दो हाथों में खड्ग और मुंड हैं, जो उनकी संहारिणी शक्ति को बताते हैं और उनके दो हाथों में वर और अभय की मुद्रा है, जो संसार के पुन निर्माण की शक्ति को बताते हैं। महाकाली ही महाकाल को प्रलय के लिए निर्देशित करती हैं और महाश्मशान रुपी ब्रम्हांड में सृष्टि का प्रलय करती हैं। महाकाली की कृपा से ही मनुष्य जीवन मरण से मुक्त हो सकता है और संसार के मोह से परे जा सकता है।

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