भुवनेश्वरी

Navratri: Bhuvaneshwari – Fourth Mahavidya-माँ भुवनेश्वरी-10 महाविद्या में चौथी महाशक्ति-

शुद्ध सनातन धर्म में आद्या शक्ति के जिन 10 स्वरुपों को 10 महाविद्याएं कहा गया है, उनमें माँ काली, माँ तारा, माँ त्रिपुर सुंदरी के बाद जिन चौथी महाविद्या या महाशक्ति का वर्णन है, वो हैं माँ भुवनेश्वरी। जिस प्रकार प्रथम महाविद्या माँ काली को काल का स्वरुप माना जाता है, वहीं माँ भुवनेश्वरी को अंतरिक्ष या फिर उस स्पेस का स्वरुप माना जाता है, जिससे चौदह भुवनों या लोकों को रचना होती है।

माँ भुवनेश्वरी आदि प्रकृति का स्वरुप हैं :

माँ भुवनेश्वरी को आदि प्रकृति भी माना जाता है, जिनसे माया का सृजन होता है । इसी माया से माँ भुवनेश्वरी त्रियंम्बक भैरव के साथ मिल कर त्रिदेवों- ब्रह्मा , विष्णु और शिव को उत्पन्न करती हैं। माँ भुवनेश्वरी ही सभी लोकों की स्वामिनी हैं। माँ भुवनेश्वरी से ही सभी जगत के जीवों की उत्पत्ति होती है, इसी लिए उन्हें देवताओं की माता अदिति का स्वरुप भी माना जाता है। माँ भुवनेश्वरी को ‘पंचप्रेतासना’ भी कहा गया है, जिसका अर्थ है -‘वो उनके सिहांसन के नीचे परमशिव, सदाशिव, ब्रह्मा , विष्णु और शिव विराजते हैं। माँ भुवनेश्वरी के शरीर के अंदर अनंत ब्रह्मांड विराजते हैं, जिनका संचालन अनंत ब्रह्मा, विष्णु और शिव करते हैं।

माँ भुवनेश्वरी विष्णु को मोहित कर :

 ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु मधु और कैटभ के साथ पांच हज़ार वर्षों तक युद्ध करते रहे । जब ये दोनों दैत्य मारे नहीं जा सके तो भगवान विष्णु ने माँ भुवनेश्वरी की अराधना की। भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ भुवनेश्वरी ने मधु और कैटभ को अपनी माया से मोहित कर लिया । माँ भुवनेश्वरी की इस माया से मधु कैटभ मोहित हो गए और सबसे वरदान देने वाले भगवान विष्णु से ही वरदान मांगने के लिए कह बैठे। भगवान विष्णु समझ गए कि माँ भुवनेश्वरी ने इन दैत्यों को अपनी माया से मोहित कर दिया और इनके अंदर घमंड भर दिया है।

माँ भुवनेश्वरी की कृपा से भगवान विष्णु ने इन दोनों घमंडी दैत्यों से हंसते हुए वर मांगा कि दोनों की मृत्यु भगवान विष्णु के हाथों ही हो। इन दोनों दैत्यों ने भगवान विष्णु को ये वर दे भी दिया । इसके बाद भगवान विष्णु ने इन दोनों दैत्यों का वध आसानी से कर दिया।

माँ भुवनेश्वरी की अराधना से मनुष्य हरेक प्रकार की माया से मुक्त हो कर मोक्ष प्राप्त कर सकता है क्योंकि उनकी ही माया से हम संसार मे भटकते रहते हैं और उनकी ही कृपा से हम संसार के जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो सकते हैं।

माँ भुवनेश्वरी ही ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को उत्पन्न करती हैं :

माँ भुवनेश्वरी को मणिद्वीप पर वास करते दिखाया गया है, जहां वो ब्रह्म पुरुष त्रयंम्बक भैरव के साथ अपनी ब्रह्म शक्ति के द्वारा त्रिदेवों ब्रह्मा विष्णु और शिव को उत्पन्न करती हैं। इन त्रिदेवों के साथ ही उनकी शक्तियों सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती को भी उत्पन्न करती हैं। ब्रह्मा और सरस्वती दोनों मां भुवनेश्वरी की प्रेरणा से ही एक अंडे का निर्माण करते हैं, जिन्हें शिव और उमा जीवन निर्माण के लिए विभक्त करते हैं और विष्णु और लक्ष्मी इस ब्रह्मांड का पालन करते हैं।

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