संत रविदास- ईश्वर से बराबरी का संबंध स्थापित करने वाले महान संत

सनातन धर्म में ईश्वर के जिन दो स्वरुपों की वंदना की परंपरा है वो हैं निर्गुण और सगुण परंपरा। वैदिक ग्रंथों में ईश्वर को प्रकृति स्वरुप निर्गुण रुप में भी पूजने की प्रथा रही है। लेकिन वक्त आने पर पौरोहित्य कर्मों और कर्मकांड के प्रचलनों ने मूर्ति पूजा की परंपरा डाली। मूर्ति पूजा के लिए मंदिर की आवश्यकता होती थी। …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता।अध्याय 2, बुद्धि को स्थिर कैसे रखें?Bhagavad Gita: How to Control Mind?

श्रीमद्भगवद्गीता में ज्ञानलब्ध होने से पूर्व मनुष्य को एक विशेष प्रक्रिया से गुज़रने की अनिवार्यता की बात कही गई है। श्रीमद्भगवद्गीता में मनुष्य को सत् की प्राप्ति हेतु एक विशेष स्थिति तक पहुंचने की बात कही गई है। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार मनुष्य बिना स्थितिप्रज्ञ हुए उस अविनाशी सत् को प्राप्त नहीं कर सकता है जो सृष्टि का मूल तत्व है। …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2 : कर्म योग का ज्ञान। Bhagavad Gita: Chapter 2: Karma Yoga

शुद्ध श्रीमद्भगद्गीता में भगवान अर्जुन को अध्याय 2 के श्लोक 16 से 30 तक सत् (Eternal Essence of the Universe) का ज्ञान देते हैं। इसे ही श्रीमद्भगवद्गीता में ‘ज्ञानयोग’ कहते हैं। अर्जुन के समक्ष सबसे बड़ा संकट यह है कि वो आखिर युद्ध करे तो कैसे करे? वो अपने ही स्वजनों के रक्त से अपने हाथ नहीं रंगना चाहता। वो …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2: क्षत्रिय धर्म और युद्ध की आवश्यकता।Bhagavad Gita: necessity of War

अक्सर ये आरोप लगाया जाता रहा है कि श्रीमद्भगवद्गीता युद्ध के लिए प्रेरित करती है। विधर्मियों और दूसरे धर्म के लोगों के द्वारा ये आरोप लगाया जाता रहा है कि श्रीमद्भगवद्गीता शांति का शास्त्र नहीं है, बल्कि ये युद्ध और हिंसा को बढ़ावा देती है। लेकिन कभी किसी ने इस बात का विश्वलेषण नहीं किया कि किन हालातों में युद्ध …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता: अध्याय 2- सत् या गॉड पार्टिकल्स। Bhagavad Gita and God Particles

श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 2 (Chapter 2) के श्लोक 16- 30 में भगवान ने अर्जुन को ज्ञानयोग के बारे में बताया है। इस ज्ञानयोग को ही सांख्य योग भी कहा जाता है। सांख्य योग के बारे मे भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को विस्तार से बताते हैं। कई विद्वानों के अनुसार भगवान ने इस योग के द्वारा ‘आत्मा’ के अजर, अमर और अविनाशी …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता,अध्याय 2 :गीताशास्त्र का ज्ञान। Start of Bhagavad Gita

शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 2( Chapter 2) के श्लोक 11 से पहली बार भगवान अर्जुन को वह ज्ञान देना प्रारंभ करते हैं, जिसे हम ‘गीताशास्त्र’ के नाम से जानते हैं। इसके पहले के अध्याय 1( Chapter 1) और अध्याय 2( Chapter 2) के श्लोक 10 तक मूल रुप से श्रीमद्भगवद्गीता में धृतराष्ट्र का इकलौता प्रश्न, संजय के द्वारा युद्धभूमि में …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2 : अर्जुन का युद्ध से पलायन। Bhagavad Gita, Chapter 2, Arjuna’s refusal to Fight

श्रीमद्भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय का प्रारंभ अर्जुन का युद्ध से पलायन से होता है। इसी अध्याय से वास्तविक रुप से श्रीमद्भगवद्गीता के दर्शन का प्रारंभ भी होता है। पहली बार श्रीकृष्ण भी यहीं से गीता का ज्ञान देना प्रारंभ करते हैं। इसके पहले के अध्याय 1 में श्रीकृष्ण कहीं भी संवाद करते नहीं दिखते हैं। अध्याय 1 में सिर्फ धृतराष्ट्र, …

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श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 1 में अर्जुन का विषाद। Bhagavad Gita, Chapter 1, Arjuna’s Despair (Visada Yoga)

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1 अर्जुन का विषाद ,धृतराष्ट्र की चिंता और दुर्योधन के युद्ध की तैयारियों से जुड़ा है। श्रीमद्भगवद्गीता में दो पात्र धृतराष्ट्र और अर्जुन चिंता और संशय से घिरे हुए दिखाए गये हैं । अर्जुन का विषाद और श्रीकृष्ण के द्वारा उसके संशयों का निराकरण श्रीमद्भगवद्गीता का मूल कथानक है। धृतराष्ट्र की चिंता से श्रीमद्भगवद्गीता के प्रारंभ जरुर होता …

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श्रीमद्भगवद्गीता,अध्याय 1- अर्जुन का शोक और सत्य की खोज।Bhagavad Gita, Chapter 1

श्रीमद्भगवद्गीता जीवन संग्राम से निकले हुए जीवन दर्शन का सिद्धांत प्रस्तुत करती है।स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि” संसार के बड़े सत्यों की खोज वनों के एकांतवास में नहीं हुई, बल्कि जीवन के संघर्षों और मूल्यों के मंथन से हुई है।” श्रीमद्भगवद्गीता का प्रारंभ उन कठिन और तनावयुक्त परिस्थितियों में होता है, जब लोग अपने जीवन की आशा को त्याग …

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महाभारत के युद्ध का प्रारंभ। शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता।अध्याय 1, Bhagavad Gita। War cry of Mahabharat

श्रीमद्भगवद्गीता में महाभारत के युद्ध का प्रारंभ होने से ठीक पहले की स्थितियों का वर्णन किया गया है। दुर्योधन युद्ध के पहले कौरवों और पांडवों की सेना की शक्तियों का तुलनात्मक अध्ययन करता है। श्रीमद्भगवद्गीता में दुर्योधन भी भयभीत दिखता है। दुर्योधन सबसे पहले कौरवों और पांडवों की सेनाओं की शक्ति का वर्णन करता है। दुर्योधन को यह विश्वास नहीं …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 1। धृतराष्ट्र का प्रश्न Bhagavad Gita Chapter 1, Question of Dhritarashtra

शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता एक नेत्रहीन व्यक्ति धृतराष्ट्र की जिज्ञासा से शुरु होती है। ज्ञान के नेत्र प्रदान करने वाली यह अद्भुत यात्रा आश्चर्यजनक रुप से एक अंधे व्यक्ति से शुरु होती है। धृतराष्ट्र न केवल शारीरिक रुप से अंधे थे, बल्कि वो कई मायनों में अंधे थे। धृतराष्ट्र पुत्र मोह में भी अंधे थे । धृतराष्ट्र राजसत्ता के मोह में अंधे …

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श्रीमद्भगवद्गीता की भूमिका। Bhagavad Gita: Shuddh Gita

श्रीमद्भगवद्गीता का अर्थ क्या है और शुद्ध गीता क्या है? श्रीमद्भगवद्गीता हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में है, लेकिन कई सौ वर्षों से इसके शुद्ध अर्थ को लेकर भ्रम फैलाया जाता रहा है । हमारा उद्धेश्य श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों की व्याकरणिक और धार्मिक रुप से शुद्ध अर्थ निकालना और इसकी यथारुप व्याख्या करना है। इसीलिए हमने श्रीमद्भगवद्गीता के जो …

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