अयोध्या के राजा हनुमान|Hanuman-King of Ayodhya

राम ने अयोध्या किसको दे दी थी? जब राम अपने धाम को वापस चले गए तो लव और कुश को अयोध्या न दे कर हनुमान जी को अयोध्या का राजा बना दिया। राम ने क्यों अयोध्या हनुमान को दे दी । क्या राम के जाने के बाद हनुमान ने ही अयोध्या का राज- काज संभाला ? क्या है हनुमान के …

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क्या अमर हैं महावीर हनुमान

शुद्ध सनातन धर्म में महावीर हनुमान जी को चिरंजीवी अर्थात अजर अमर कहा जाता है । वैसे शास्त्रों को पढ़ने से यही लगता है कि जिस किसी ने भी पृथ्वी पर जन्म लिया है उसे कभी न कभी मृत्यु का वरण करना ही पड़ता है । यहां तक कि भगवान श्री हरि विष्णु के सभी अवतारों को चाहे वो श्री …

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महाभारत में भगवान शिव के महान भक्त

शुद्ध सनातन धर्म में दो महान ग्रंथो रामायण और महाभारत दोनों में ही भगवान श्री हरि विष्णु के दो महावतारों श्री राम और श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं और पराक्रमों को वर्णन है । वैष्णव मत प्राचीनकाल से ही इन दोनों ही ग्रंथों को अपने मत के सबसे महान ग्रंथों मे शामिल करता रहा है। लेकिन बहुत ही कम लोगों को …

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राम भक्ति के शिखर संत गोस्वामी तुलसीदास|Goswami Tulsidas

हरि अनंत और हरि कथा अनंता’ की अवधारणा वैष्णव भक्ति परंपरा की अद्भुत विशेषता रही है। गोस्वामी तुलसीदास जी के अलावा श्रीराम के अन्य महान भक्त संतों ने भक्ति की जो धारा भारतभूमि में प्रवाहित की है, वो किसी अन्य देश में नहीं पाई जाती है।चाहे वो तमिल संत कम्ब हों, बंगाल के महान श्रीराम भक्त संत कृतिवास हों या …

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मां के शाप से मुक्ति का पर्व नाग पंचमी

सांप और सभ्यता : सर्प या सांप संसार के सभी धर्मों कथाओं में किसी न किसी रुप में उपस्थित रहे हैं । कहीं सांपों को शुभता का प्रतीक माना गया है तो कहीं इन्हें शैतान से जोड़ा गया है । विष धारण करने की वजह से सांप हमेशा से भय और आश्चर्य के विषय रहे हैं । संसार की सारी …

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सबसे ज्ञानी और विद्वान हैं हनुमान जी

शुद्ध सनातन धर्म में महावीर हनुमान जी को संकटमोचक के रुप में जाना जाता है । भगवान महावीर हनुमान जी के असंभव पराक्रमों की चर्चा न केवल रामायण और दूसरी रामकथाओं में बल्कि महाभारत और कई अन्य महान ग्रंथों में भी की गई है, लेकिन बलवान और अजर अमर महावीर हनुमान जी के व्यक्तित्व का एक दूसरा पहलू भी है …

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कहां स्थित है असली अयोध्या

‘अयोध्या’ जिसका शाब्दिक अर्थ है जिसे ‘युद्ध में जीता न जा सके’ । शुद्ध सनानत धर्म के शास्त्रों के अनुसार अयोध्या की स्थापना विवस्वान( सूर्य) के पुत्र मनु ने की थी, शास्त्रो के मुताबिक कोसल राज्य की राजधानी बताया गया है । असलीअयोध्या को ही श्री नारायण हरि विष्णु के मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार श्री राम की जन्मभूमि भी कहा जाता …

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Chakravyuh and Abhimanyu|अभिमन्यु ने किससे सीखा चक्रव्यूह भेदन

सनातन धर्म के महान ग्रंथ महाभारत के सर्वश्रेष्ठ और महान वीरों में अभिमन्यु का नाम आदर से लिया जाता है । 16 वर्ष की आयु में ही वो महान कार्य कर दिखाया था जो आज तक किसी ने नहीं किया था । वो कार्य था चक्रव्यूह भेदन। अभिमन्यु को चक्रव्यूह के अंदर घुसना तो आता था, लेकिन उसे चक्रव्यूह से …

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Navratri: Who was the greatest devotee of Durga| Shriram,Ravana, Arjun or Yudhishtir|माँ दुर्गा के भक्त श्रीराम, रावण, अर्जुन और युधिष्ठिर

सनातन धर्म के ज्यादातर ग्रंथो और शाक्त संप्रदाय के बहुत सारे शास्त्रों में माँ दुर्गा की स्तुति की गई है । माँ दुर्गा को महिषासुरमर्दनी और शुम्भ और निशुम्भ जैसे अत्याचारी राक्षसों का वध करने के लिए जाना जाता है । माँ दुर्गा अपनी दस भुजाओं से सारे संसार को समय – समय पर दुष्टों से मुक्त कराती आई हैं …

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भगवान शिव को महादेव क्यों कहते हैं ?

शुद्ध सनातन धर्म में कई देवी और देवताओं की महिमा गाई गई है । लेकिन सिर्फ एक ही ईश्वरीय सत्ता हैं जिन्हें देवों का देव ‘महादेव’ कहा जाता है । भगवान शिव को शास्त्रों में ‘महादेव’ भी कह कर उनकी वंदना की गई है । आखिर क्यों त्रिदेवों में सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा और पालनकर्ता विष्णु को छोड़कर सिर्फ भगवान …

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भगवान शिव और श्री कृष्ण का महायुद्ध

शुद्ध सनातन धर्म में पौराणिक कथाओं का विशेष महत्व है । इन कथाओं में जहां भगवान शिव और विष्णु के बीच एक सामंजस्य दिखाया गया है वहीं उनके बीच कभी -कभी संघर्षों को भी दिखाया गया है । शुद्ध सनातन धर्म में कई ऐसे दैत्यों का भी वर्णन है जो शक्तिशाली होने के साथ ही ईश्वर के महान भक्त भी …

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शिव हैं सर्वश्रेष्ठ पति

भगवान शिव को त्रिदेवों में संहार का देवता कहा गया है । भगवान शिव को ही वैरागी और श्मशानवासी भी कहा गया है । देवाधिदेव को हमेशा समाधि में लीन और संसार से परे दिखाया गया है । भगवान शिव को क्रोध में तांडव करते दिखाया गया है । भगवान भोलेनाथ को कैलाश जैसे निर्जन स्थान पर वास करते भी …

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शूद्र ऋषि व्यास हैं सबसे प्रथम गुरु

शुद्ध सनातन धर्म में कभी भी वर्ण व्यवस्था इतनी संकीर्ण नहीं रही जितनी आज है । प्राचीन वैदिक और महाकाव्य कालों में वर्ण व्यवस्था का आधार जन्म से नहीं बल्कि कर्म से था । भगवान श्री कृष्ण स्वयं श्री मद् भगवद्गीता में वर्ण व्यवस्था को गुण और कर्म पर आधारित होने की महान उद्घोषणा करते हैं – ब्राह्म्णक्षत्रियविंशा शूद्राणां च …

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शिव और पार्वती के समान शक्तिशाली हैं भगवान कार्तिकेय

शुद्ध सनातन धर्म में पांच महान घटनाओं का वर्णन लगभग सभी पुराणों और दोनों महा काव्यों – रामायण और महाभारत में किया गया है । ये घटनाएं हैं समुद्र मंथन, श्री हरि विष्णु का वामन अवतार, मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण, वशिष्ठ और विश्वामित्र का संघर्ष और भगवान श्री कार्तिकेय का जन्म, इन पांचों घटनाओं का शुद्ध सनातन धर्म …

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भगवान श्री हरि विष्णु के वाहन गरुड़ जी

सनातन धर्म में भगवान श्री हरि विष्णु को सर्व व्यापक माना गया है। वो कहीं भी और कभी भी अपने वाहन गरुड़ के द्वारा पहुंच सकते हैं। लेकिन आखिर भगवान श्री हरि विष्णु के वाहन गरुड़ की उत्पत्ति कैसे हुई। कहा जाता है कि ऋषि कश्यप की दो पत्नियों कद्रू और विनता से नागों और गरुड़ भगवान की उत्पत्ति हुई …

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