क्या रावण की नाभि में अमृत था ?

 राम कथाओं मे रावण वध को लेकर बहुत सारी कहानियां हैं। कहा जाता है कि रावण की नाभि में अमृत से भरा अमृतकुंड था। विभीषण श्रीराम को रावण की नाभि में अमृत होने का राज़ बता देता है और श्रीराम रावण का वध कर देते हैं। विभीषण को यह राज बताने के लिए आज भी कोसा जाता है। कहा जाता …

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शिव और विष्णु में कौन बड़ा और श्रेष्ठ है ?

शिव और विष्णु दोनों ही सनानत धर्म के दो सबसे महत्वपूर्ण ईश्वरीय सत्ताएं हैं। भगवान शिव और विष्णु की पूजा अनंत काल से सनातन धर्म में की जाती रही है। जहां शिव को योगीराज कहा जाता है वहीं विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को योगेश्वर भी कहा जाता है। शिव और विष्णु दोनों में एकता है वेदों में जहां शिव और …

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Jesus and rebirth। ईसा मसीह का पुनर्जन्म

ईस्टर ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार ईस्टर के दिन ईसा मसीह का पुनर्जन्म हुआ था। अब्राहमिक धर्म में यहूदी और इस्लाम किसी भी प्रकार के पुनर्जन्म के सिद्धांत का समर्थन नहीं करते हैं। ईसाई धर्म में भी सिर्फ ईसा मसीह के फिर से जीवित होने की बात आती है। लेकिन सनातन धर्म …

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ईसा मसीह (जीसस) और हनुमान जी के बीच क्या संबंध था ?

महावीर हनुमान जी के जन्म की कथा जिस प्रकार से अद्भुत और दिव्य है, उसी प्रकार से ईसा मसीह के जन्म की कथा भी अद्भुत , दिव्य और रहस्यमय है। दोनों ही ईश्वरीय सत्ता के महान स्वरुप के रूप में पूजित होते हैं। महावीर हनुमान जी के जन्म की कथा जहां प्रामाणिक रुप से वाल्मीकि रामायण में मिलती है, वहीं …

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पुष्पक विमान से सीता का हरण नहीं हुआ था

पुष्पक विमान की चर्चा रामायण में कई बार आई है। पुष्पक विमान को किसने बनाया और रावण ने पुष्पक विमान को किससे छीना ये कथाएं भी वाल्मीकि रामायण में आती हैं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार पुष्पक विमान उस पर सवारी करने वाले की मन की इच्छा से चलता था। कुछ कथाओं के अनुसार रावण ने माता सीता का हरण कर …

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श्रीराम की भीष्म प्रतिज्ञा | जो सीता हरण की वजह बनी

क्या रावण ने अचानक ही माता सीता का हरण कर लिया था? क्या इसके पीछे लक्ष्मण के द्वारा सिर्फ शूर्पनखा का नाक- कान काटना ही प्रमुख वजह थी या फिर इसके पीछे श्रीराम की कोई भीष्म प्रतिज्ञा थी । वो कौन सा महान उद्देश्य था जिसे पूरा करने के लिए श्रीराम ने भीष्म प्रतिज्ञा की और इसके बाद ही माता …

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Holi 2021: होली के त्यौहार | होली पर्व पर किस देवता की पूजा करें ?

होली हिंदुओं का एक प्राचीन और सनातन धर्म का पवित्र त्यौहार है। होली का त्यौहार कब से मनाया जा रहा है ये कोई नहीं जानता है। होली के त्यौहार या पर्व पर किस विशेष देवता की पूजा करनी चाहिए इस पर भी कोई एकमत नहीं है। लेकिन यह जरुर है कि होली ही संभवतः एकमात्र ऐसा बड़ा त्यौहार है, जिसे …

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स्वर्गयात्राः युधिष्ठिर के साथ कुत्ते की स्वर्गयात्रा

हिंदू धर्म या सनातन धर्म में सभी प्राणियों को बहुत महत्व दिया गया है। वैसे विशेषरुप से गाय को सबसे पवित्र प्राणी माना गया और गाय को माता का दर्जा प्राप्त है, लेकिन ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो किसी न किसी भगवान का वाहन न हो। कुत्ते भी सनातन धर्म या हिंदू धर्म में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। …

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राम-लक्ष्मण सीता के वनवास की कथा|Exile of Ram Lakshman Sita

राम लक्ष्मण सीता वनवास एक साथ गए थे। जबकि, कैकयी ने दशरथ से सिर्फ राम का वनवास देने का ही वरदान मांगा था, फिर सीता जी श्रीराम के साथ वनवास के लिए क्यों गईं? श्रीराम और माता सीता के बीच गहन और अद्भुत प्रेम था। श्रीराम माता सीता के वनवास की कठिनाइयों से बचाना चाहते थे। श्रीराम अपनी माता को …

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श्रीमद् भगवद्गीता | पाप और कामरुपी शत्रु | अध्याय तृतीय

भगवान अध्याय 2 और 3 में लगातार अर्जुन को समत्व बुद्धि, कामरुपी से युक्त होकर अविनाशी सत् की प्राप्ति हेतु कर्मयोग या यज्ञकर्म करने का उपदेश दे रहे हैं। अर्जुन चाहता भी है कि वो भगवान के बताए हुए रास्ते पर चले, परंतु उसका संशय यही है, कि क्या किसी के संकल्प मात्र से यह सिद्धि हो सकती है ? …

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सनातन धर्म मे मरुत और मरुत गण या मरुद्गण कौन हैं, What is marudgana ?

वेदों से लेकर पुराणों तक में 7 मरुतों के नाम लगभग समान ही हैं जो इस प्रकार हैं –आवह, प्रवह, संवह, उद्वह, विवह, परिवह और परावह, ये सभी तीनों लोकों में अलग- अलग दिशाओं में भ्रमण करते रहते हैं । इन हर मरुतों के गण या मरुद्गण ( मरुत गण) अलग- अलग दिशाओं में अपने स्वामियों के कार्य करते हैं। …

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श्रीमद् भगवद्गीता: अज्ञानी और ज्ञानवान के लक्षण और कर्म, Ignorant and Knowledgeable Shrimad Bhagavad Gita Verses 25-35

अज्ञानी और ज्ञानवान के लक्षण और कर्म को भगवान ने अध्याय 3 के श्लोक 17 से 24 में अर्जुन को बताया कि अविनाशी सत् की प्राप्ति के लिए आसक्तिरहित यज्ञकर्म करने की आवश्यकता है। आसक्तिरहित यज्ञकर्म करना न केवल स्वयं के लिए आवश्यक है, बल्कि दूसरों को प्रेरित करने के लिए भी जरुरी है। भगवान ने यह भी कहा कि …

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श्रीमद् भगवद्गीता | भगवान के लिए भी कर्म करना आवश्यक है | Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 3

श्रीमद् भगवद्गीता के अध्याय तृतीय में अर्जुन को अविनाशी सत् की प्राप्ति के लिए यज्ञकर्म करने के लिए कहते हैं। यज्ञकर्म वह कर्म है जो अविनाशी सत् के वृहद्त्तम स्वरुप के सगुण परमेश्वर विष्णु की प्राप्ति के लिए किया जाए। ‘यज्ञै हि विष्णु’ अर्थात यज्ञ ही विष्णु हैं और भगवान विष्णु की प्राप्ति के लिए किया गया कर्म ही यज्ञकर्म …

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ऊँ नमः शिवाय, मंत्र का अर्थ और ‘शिव पंचाक्षर स्त्रोत्र’ का शुद्ध अर्थ

शुद्ध सनातन धर्म में भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहा गया है और ‘ऊँ नमः शिवाय’ को एक महामंत्र माना गया है । इसे ‘शिव पंचाक्षर मंत्र’ भी कहते हैं। ‘ऊँ’ तो ‘प्रणव’ है, लेकिन ‘नमः शिवाय’ पांच अक्षरों से मिल कर बना है । इस पंचाक्षर मंत्र को पुण्यदायी और मोक्षदायी कहा गया है। लेकिन कई लोग …

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भगवान शिव हैं सबके स्वामी

भगवान शिव जिन्हें आदिदेव, महादेव, ईश्वर, महेश्वर, रुद्र, शंकर ,भोलेनाथ , पशुपतिनाथ आदि अनंत नामों से भक्त पुकारते हैं वो कौन हैं? क्या वो सिर्फ सृष्टि के संहार के देवता हैं? क्या वो त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव में तीसरी ईश्वरीय शक्ति हैं? क्या वो वही शिव हैं जो भष्म लपेटे, गंगा को अपने सिर पर धारण करने वाले और …

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