युधिष्ठिर ने कब-कब झूठ बोला | Yudhisthir ne jhuth kab Bola

महाभारत में सबसे सत्यवादी व्यक्ति के रुप में युधिष्ठिर का नाम आता है। युधिष्ठिर को धर्म का ज्ञाता और धर्मराज भी कहा जाता है, वो धर्म के पुत्र भी थे, ऐसा माना जाता है कि युधिष्ठिर कभी भी असत्य और अधर्म के मार्ग पर नहीं चले, वो हमेशा सत्य ही बोलते थे। हम बचपन से यह सुनते आ रहे हैं …

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महाभारत का सबसे महान योद्धा अर्जुन|Mahabharat ke Sabse Mahan Yodha Arjun

अर्जुन महाभारत में एक महान योद्धा के रुप में दिखाये गए हैं। अर्जुन को महाभारत में ‘नर’ रुप विष्णु का अवतार भी माना गया है। महाभारत में कई स्थानों पर कृष्ण को नारायण और अर्जुन को उनके सखा ‘नर’ के रुप में दिखाया गया है । कौन हैं नर और नारायण ( Who is Nar and Narayan ) महाभारत और …

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देवशयनी एकादशीः विष्णु के सोने और हमारे जागने का पर्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन देवशयनी एकादशी का महापर्व भगवान श्री हरि विष्णु के योगनिद्रा में जाने का दिवस है आज से ठीक चार महीने तक भगवान विष्णु शयन करते हैं अर्थात सोते हैं। भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीने भगवान शेषनाग के उपर शयन करते हैं । क्षीरसागर का स्थान शकद्वीप के चारों ओर …

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THEORY OF GENESIS IN VEDAS। ऋग्वेद में सृष्टि की उत्पत्ति का रहस्य?

संसार के सभी धर्मों में सृष्टि की उत्पत्ति का सिद्धांत दिया गया है। बाइबल के ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ में तथा पवित्र ‘कुरान’ में परमेश्वर या अल्लाह के द्वारा सृष्टि की रचना बताई गई है। लेकिन सृष्टि से पहले क्या था, यह हमें सिर्फ ऋ्ग्वेद के दशम मंडल के ‘नासदीय सूक्त'(Nasadiya Sukta) में मिलता है। सृष्टि कैसे बनी ये तो सभी धर्मों के …

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असुर, राक्षस, दैत्य और दानवों की उत्पत्ति की रहस्यमय कथा

आमतौर पर हम राक्षस, दैत्य, दानव और असुरों को एक ही तरह के प्राणी के रुप में समझते हैं, जबकि इन सभी के बीच एक व्यापक भेद हैं और राक्षस, दैत्य, दानव और असुर सभी अलग- अलग प्राणी के रुप में सनातन धर्म में पाए जाते रहे हैं। इन सभी को ही आमतौर पर दुष्ट और अत्याचारी माना जाता रहा …

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Hanuman, Sita wanted to commit ‘suicide’|हनुमान और सीता क्यों आत्महत्या करना चाहते थे ?

सनातन हिंदू धर्म में आत्महत्या को महापाप माना गया है, लेकिन सनातन हिंदू धर्म में कई ऐसे प्रसंग भी हमारे सामने आते हैं, जो मानवीय कमजोरियों को दिखाते हैं। ऐसे ही एक प्रसंग में वाल्मीकि रामायण और कम्ब रामायण में हनुमान जी और सीता के द्वारा आत्महत्या करने का विचार भी शामिल हैं। लंका में वो कौन सी परिस्थितियाँ सामने …

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सनातन धर्म के दिव्य हाथी ||The Divine Elephants of Sanatan Dharma

सनातन धर्म एक अद्भुत धर्म है जो न सिर्फ मानवों के कल्याण के लिए है, बल्कि यह पशुओं, पक्षियों और प्राणीमात्र के कल्याण के लिए है । किसी भी अन्य धर्म में दूसरे प्राणियों के हित की इतनी चिंता नहीं की गई है जितनी सनातन धर्म के शास्त्रों में की गई है। सनातन धर्म मे विशेषकर हाथियों के बारे में …

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सनातन धर्म के चिरंजीवी || Longeval of Sanatan Dharma

सनातन धर्म के ग्रंथों में कुछ पुरुषों और प्राणियों के चिरंजीवी होने की बात बार -बार कही गई है। लेकिन अक्सर हम अमरता और चिरंजीवी होने के अर्थ में भूल कर जाते हैं। अमर होने और चिरंजीवी होने में बहुत बड़ा फर्क है। हरेक अमरता प्राप्त प्राणी चिंरजीवी हो सकता है, लेकिन हरेक चिरंजीवी अमर हो ये जरुरी नहीं । …

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सनातन धर्म के विलुप्त प्राणी

सनातन धर्म हजारों साल पुराना और विश्व का पहला ज्ञात और स्पष्ट धर्म है । सनातन धर्म मे केवल मानवों, देवताओं, दैत्यों, नागों और कई अन्य योनियों और प्राणियों का वर्णन नहीं है बल्कि इस धर्म में समस्त ब्रम्हांड के चर और अचर सभी जीव जंतुओं का कोई न कोई वर्णन अवश्य है सनातन धर्म के पवित्र प्राणी वैसे सनातन …

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सनातन धर्म में कुत्ते की महिमा

शुद्ध सनातन धर्म सिर्फ मानवों का धर्म नही रहा है बल्कि इसके दायरे में समस्त चर और अचर जगत के प्राणियों का समावेश है। गाय को सबसे पवित्र और दिव्य प्राणी का दर्जा प्राप्त है। लेकिन इसके अलावा कई अन्य प्राणियों जैसे कुत्ता, बैल, कछुआ, भैंस आदि को भी सनातन धर्म में उचित स्थान मिला है। देवताओं के वाहन के …

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श्रीराम जन्म की अद्भुत और अनसुनी कथा

श्री हरि विष्णु के मर्यादापुरुषोत्तम अवतार श्रीराम के जन्म की अद्भुत कथा सनातन धर्म की सबसे प्रिय कथाओं में एक है। श्री हरि विष्णु ने श्रीराम के रुप में अवतार क्यों लिया? किन लोगों की तपस्या के फलस्वरुप श्रीराम के रुप में श्री हरि विष्णु ने अवतार लिया। वो कौन लोग थें जिन्होंने श्री हरि विष्णु से श्रीराम के रुप …

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हनुमान जी का जन्म स्थान कहां है ?

हनुमान जी का जन्म किस स्थान पर हुआ था, इसको लेकर काफी मतभेद हैं। हनुमान जी के जन्म स्थान को लेकर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों के बीच काफी विवाद हैं। हरेक राज्य का कहना है कि हनुमान जी का जन्म उनके ही राज्य में हुआ था । क्या है हनुमान जी के जन्म का सच और किन ग्रंथों …

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हनुमान जी का लंका जाना पहले से तय था?

श्रीराम कथा में महावीर हनुमान जी के जिन महान कार्यों का वर्णन है उसमें उनके द्वारा समुद्र लांघ कर लंका जाना, माता जानकी का पता लगाना, रावण को प्रभु श्री राम के प्रताप और शक्ति के बारे में अवगत कराना और लंका दहन मह्त्वपूर्ण हैं। लेकिन एक प्रश्न हमेशा उठता है कि क्या ये महज एक संयोग था कि हनुमान …

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ज्ञानवापी का इतिहास: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को आम जनता के लिए खोल दिया गया है। पिछले कई सौ वर्षों से विश्वनाथ धाम कॉम्पलेक्स में एक संकरी गली से होकर जाना पड़ता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के माध्यम से काशी विश्वनाथ काम्पलेक्स में प्रवेश कर काशी विश्वनाथ मंदिर में आसानी से बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये …

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श्रीमद् भगवद्गीता | कर्मयोग की परंपरा और वर्णव्यस्था का उद्भव

श्रीमद् भगवद्गीता के अध्याय 4 का प्रारंभ दरअसल अध्याय 3 का ही विस्तार है, जिसमें भगवान ने अर्जुन को कर्मयोग की महिमा समझाई है। अध्याय 3 में भगवान ने अर्जुन को  कर्मयोग या यज्ञकर्म रुपी तत्त्व का ज्ञान दिया है ,जिसके द्वारा अपनी बुद्धि को समत्व भाव में लाकर अविनाशी सत् की प्राप्ति के लिए कर्म किया जाता है । …

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