पत्नी प्रेम में लगाते हैं शिव शरीर पर भस्म

शुद्ध सनातन धर्म में पत्नी प्रेम में लगाते हैं शिव शरीर पर भस्म बिना गृहस्थ आश्रम के मुक्ति को असंभव बताया गया है । यहां तक कि ज्यादातर ईश्वरीय सत्ताओं को भी विवाहित दिखाया गया है । सनातन धर्म में पत्नी के प्रति प्रेम को उच्च आदर्श के रुप में दिखाया गया है । भगवान श्री राम ने अपनी पत्नी …

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Navratri: Sixth Mahavidya: Chinnamasta 10महाविद्या की छठी महाशक्ति- माँ छिन्नमस्ता

शुद्ध सनातन धर्म में आद्या शक्ति के जिन 10 महाविद्या रुपी स्वरुपों का वर्णन है, उसमें माँ छिन्नमस्ता छठी महाशक्ति हैं। माँ छिन्नमस्ता का स्वरुप तंत्र के महान रहस्यों को उद्घाटित करता है। शाक्त ग्रंथों और शाक्त तंत्र की पुस्तकों में माँ छिन्नमस्ता को कामदेव और रति के उपर विराजित दिखाया गया है। माँ ने अपने ही सिर को अपने …

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Navratri: 7th Mahavidya Dhumavati:10 महाविद्या की 7 वीं महाशक्ति – माँ धूमावती

10महाविद्याओं में 7 वीं महाशक्ति माँ धूमावती हैं। माँ धूमावती विरुपता, कुरुपता, वैराग्य, अशुभता, जर्जरता बुढ़ापा, वैधव्य और दरिद्रता का प्रतीक हैं। माँ धूमावती सृष्टि के निर्माण से ठीक पहले और प्रलय के ठीक बाद शून्य के रुप में प्रगट होती हैं। माँ धूमावती को मान्यताओं के मुताबिक वैदिक देवी नऋति से जोड़ा जाता है,जो मृत्यु और क्षय की देवी …

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Baglamukhi:10 महाविद्या की 8वीं शक्ति- बगलामुखी

10 महाविद्या की 8 वीं शक्ति बगलामुखी देवी हैं। शुद्ध सनातन हिंदू धर्म में प्राणियों को चेतन और अवचेतन स्थितियों से उत्पन्न माया से मुक्त कराने के लिए आद्या शक्ति जिन स्वरुपों में प्रगट होती हैं उनमें 8वीं महाविद्या हैं माँ बगलामुखी। 10 महाविद्या की शक्तियों में बगलामुखी, सृष्टि के लय को नियंत्रित करने वाली महाशक्ति हैं। बगलामुखी प्राणियों को …

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Maa Matangi 9th Superpower of 10 Mahavidyas | मां मातंगी नवम महाशक्ति

दलितों की मां हैं मां मातंगी : शुद्ध सनातन धर्म मानव मात्र की समानता और समाज के अंतिम व्यक्ति को अराधना का अधिकार देता है। गुप्त नवरात्रि के नवम रात्रि को मां मातंगी की विशेष पूजा की जाती है। मां मातंगी समानता की देवी हैं। वो श्मशान में वास करती हैं। उनकी पूजा के लिए कोई विशेष नियम और शुद्धि …

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पति और परिवार के कल्याण का पर्व – वट सावित्री

शुद्ध सनातन धर्म में नारियों को पूज्य बताया गया है , नारियों के अंदर शक्ति का वास बताया गया हैनारियां अगर निष्ठा पूर्वक ईश्वर की भक्ति करें तो ईश्वर की कृपा सबसे पहले उन्हें ही प्राप्त होती हैं कौन हैं सावित्री, क्यों किया सत्यवान से विवाह : मद्र देश के राजा अश्वपति को कोई संतान नहीं थी, महान तपस्या के …

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महावीर हनुमान जी की लंका यात्रा

वाल्मिकि रामायण और तुलसी रचित रामचरितमानस दोनों में ही हनुमान जी की लंका यात्रा का विशद वर्णन सुंदरकांड में मिलता है। समुद्र को लांघ जाने का असंभव प्रयास सिर्फ महावीर हनुमान जी ही कर सकते थे । जब सभी वानर इस सोच में पड़े थे कि इस महान समुद्र को कैसे पार किया जाए और कौन है जो लंका जा …

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क्या महावीर हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी हैं

शुद्ध सनातन धर्म में महावीर हनुमान जी को भक्त शिरोमणि कहा गया है । महावीर हनुमान जी की श्री राम भक्ति ठीक वैसे ही है जैसे श्री हरि विष्णु के प्रति नारद जी और ध्रुव और प्रह्लाद जी की भक्ति । कहीं हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी तो कहीं विवाहित हैं : संपूर्ण विश्व में महावीर हनुमान जी के निजी जिंदगी …

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भगवान से मित्रता से मोक्ष मिलता है

सनातन धर्म में भक्ति के नौ प्रकार बताए गये हैं जिन्हें नवधा भक्ति भी कहते हैं। इस प्रकार की भक्ति में ईश्वर से प्रति मित्रता का भाव रख कर उनकी उपासना की जाती है। सनातन धर्म में ऐसे कई भक्त हुए हैं जिन्होंने ईश्वर के प्रति अपनी मित्रता का भाव रख कर भी ईश्वरीय कृपा प्राप्त की है। भगवान से …

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जगतगुरु रामानंदाचार्य

अलावार और नयनार संतों ने दक्षिण भारत जो भक्ति की धारा चलाई उसे वल्लभाचार्य, निम्बार्काचार्य और माध्वाचार्य ने दक्षिण भारत के कोने कोने में फैला दिया। अब बारी उत्तर भारत की थी। दक्षिण भारत से उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन का लाने वाली महान आत्मा का नाम था स्वामी रामानंदाचार्य। उन्ही के लिए यह कहा जाता है कि “उपजी द्रविड़ …

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भगवान श्री विष्णु के चक्रावतार निम्बार्काचार्य

वैष्णव मत के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु से ही सारे धर्मों और जीवों की उत्पत्ति हुई है। भगवान के इच्छा मात्र से ही भक्ति संप्रदायों का उद्भव हुआ। विष्णु के चक्रावतार निम्बार्काचार्य निम्बार्क संप्रदाय को इसी लिए सबसे प्राचीन संप्रदाय की संज्ञा दी जाती है विष्णु के चक्रावतार निम्बार्काचार्य संप्रदाय की उत्पत्ति : निम्बार्काचार्य संप्रदाय उत्पत्ति भगवान श्री विष्णु …

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श्री कृष्ण भक्ति के महान संत माधवाचार्य

आज पूरे विश्व में इस्कॉन और अन्य कृष्ण भक्ति से जुड़ी संस्थाओं के प्रयासों से कृष्ण भक्ति की जो गंगा अविरल प्रवाहित हो रही है उसकी गंगोत्री हिमालय में नहीं बल्कि दक्षिण भारत में हैं। आदिगुरु शंकराचार्य ने जब निराकार ब्रम्ह की अवधारणा दी और देश को कर्मकांड और जाति प्रथा से मुक्त कराने का अभियान किया तो उनके इस …

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