ईस्टर ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार ईस्टर के दिन ईसा मसीह का पुनर्जन्म हुआ था। अब्राहमिक धर्म में यहूदी और इस्लाम किसी भी प्रकार के पुनर्जन्म के सिद्धांत का समर्थन नहीं करते हैं। ईसाई धर्म में भी सिर्फ ईसा मसीह के फिर से जीवित होने की बात आती है। लेकिन सनातन धर्म प्रारंभ से ही पुनर्जन्म के सिद्धांत को मान्यता देता है।
विश्व के सभी धर्मों में एकमात्र सनातन धर्म ही है, जो पुनर्जन्म और मृतकों के फिर से जी उठने के सिद्धांतो का समर्थन करता है । अब्राहमिक धर्मों – यहूदी, ईसाई और इस्लाम पिछले जन्म और अगले जन्मों की मान्यता से इंकार करते हैं। इन तीनों ही धर्मों के अनुसार मनुष्य को परमेश्वर ने बनाया है और मृत्यु के बाद कयामत के दिन ईश्वर सबके पाप और पुण्य का फैसला करेगा।
अब्राहमिक धर्म की मान्यताओं के अनुसार सभी मनुष्यों की रुहें कयामत के दिन तक अपने कब्रों में इंतज़ार करेंगी। कयामत के दिन सभी रुहें अचानक जीवित हो उठेंगी और परमेश्वर उनके पाप और पुण्य का फैसला करेगा। मनुष्यों के पाप और पुण्य के आधार पर ईश्वर उन्हें स्वर्ग या नर्क भेजेगा। इन तीनों धर्मों के अनुसार सृष्टि का निर्माण सिर्फ एक बार के लिए ही हुआ है। कयामत के दिन सारी सृष्टि का विनाश हो जाएगा और सभी मनुष्य अपने पाप और पुण्य के हिसाब से अनंत काल के लिए स्वर्ग या नरक में वास करेंगे।
ईसा मसीह का पुनर्जन्म -ईसाई धर्म और इस्लाम का सिद्धांत
- ईसा मसीह का जीवन कुछ ऐसा रहा है जिसने ईसाइयत के अंदर पुनर्जन्म या फिर जीवित हो उठने के सिद्धांत को विशेष परिस्थितियों में मान्यता दी है । ईसा मसीह का को न केवल ईसाई धर्म बल्कि इस्लाम भी एक नबी का दर्जा देता है। फर्क सिर्फ इतना है कि जहाँ ईसाई धर्म ईसा मसीह को अपना आखिरी पैगंबर मानता है वहीं इस्लाम हज़रत मोहम्मद आखिरी पैगंबर थे। इस्लाम के मुताबिक ईसा मसीह की मृत्यु सलीब पर चढ़ने के बाद नहीं हुई और अल्लाह के द्वारा ईसा को मृत्यु से पहले ही जीवित उठा लिया था।
- इस्लाम के मुताबिक कयामत के दिन ईसा मसीह अपने शरीर के साथ मौजूद रहेंगे। इसका अर्थ यह लगाया जा सकता है कि ईसा मसीह चिरंजीवी हैं। सनातन धर्म में हनुमान जी , विभीषण, मार्कण्डेय, अश्वत्थामा, कृपाचार्य आदि को चिरंजीवी कहा गया है।
- हालांकि पूर्वजन्म के सिद्धांत पर ईसाइयत और इस्लाम दोनों ही हिंदू धर्म का समर्थन नहीं करते ,लेकिन मृतकों के फिर से जी उठने के सिद्धांत को ईसा मसीह के मामले में ईसाई धर्म मान्यता देता है। कयामत के दिन मृतकों के फिर से जी उठने की बात ईसाई और इस्लाम दोनों ही धर्मों में लगभग एक समान रुप से मान्य है।
- लेकिन क्या ईसा मसीह ने सूली पर अपने प्राण त्यागे थे ? इसको लेकर ईसाइयत और इस्लाम दोनों में गहरे मतभेद हैं। जहां ईसाइयत ये कहती है कि ईसा मसीह ने सूली पर अपने प्राण त्याग दिये थे और तीन दिनों के बाद रविवार ( यानि ईस्टर के दिन ) फिर से जीवित हो उठे थे । वहीं इस्लाम के मुताबिक हजरत ईसा उल इस्लाम को सलीब पर चढ़ने से पहले ही खुदा ने जीवित उठा लिया था । इस्लाम के अनुसार ईसा मसीह कयामत के दिन अल्लाह के सामने हाजिर होंगे ।
- वास्तव में सनातन धर्म के कई सिद्धांत और व्यवहार ईसा मसीह के जीवन और उनके सिद्धांतों को गहरे प्रभावित करते हैं और सनातन धर्म के सिद्धांतो के जरिए ईसा मसीह के जीवन,उनकी मृत्यु और पुनर्जीवन की कहानी को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है ।
क्या मरा हुआ इंसान फिर से जीवित हो सकता है ?
सबसे पहले हम देखते हैं कि क्या मृतको का फिर से जी उठना संभव है ? क्या सनातन धर्म इसका समर्थन करता है ? इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण वाल्मीकि रामायण में है । जब रावण के वध के बाद इंद्र श्रीराम से वरदान मांगने के लिए कहते हैं तो श्रीराम सभी मृत वानरों को फिर से जीवित करने का वरदान मांगते हैं –
अमोघं दर्शनं राम तवास्माकं नरर्षभ |
प्रीतियुक्ताः स्म तेन त्वं ब्रूहि यन्मनसेप्सितम् || 6.120.2
इंद्र – हे राम ! आपके द्वारा हमारा दर्शन व्यर्थ नहीं जाएगा। इसलिए आपकी जो इच्छा हो कहिए
मम हेतोः पराक्रान्ता ये गता यमसादनम् |
ते सर्वे जीवितं प्राप्य समुत्तिष्ठन्तु वानराः || 6.120.5
मत्कृते विप्रयुक्ता ये पुत्रैर्दारैश्च वानराः |
तान् प्रीतमनसः सर्वान् द्रष्टुमिच्छामि मानद || 6.120.6
विक्रान्ताश्चापि शूराश्च न मृत्युं गणयन्ति च |
कृतयत्ना विपन्नाश्च जीवयैनान् पुरंदर || 6.120.7
श्रीराम – “हे इंद्र! अगर आप मुझसे प्रसन्न हैं तो उन सभी वानरो को फिर से जीवित कर दीजिए, जिन्होंनें युद्ध में धर्म और मेरे लिए अपने प्राण त्याग दिये थे”
इस प्रकार ईसा मसीह (जीसस) का फिर से जीवित होना सनातन धर्म के सिद्दांतो के अनुरुप ही है–
ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) का भारत से संबंध
इसके अलावा ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने से ठीक कुछ दिनों पहले एक स्त्री उन पर जटामांसी का इत्र उड़ेल देती है। इसका वर्णन लूका, मारकुस और यूहन्ना के सुसमाचारों में मिलता है। जटामांसी इत्र केवल भारत में बनता था और ग्रीक एवं रोमन परंपराओं में मृतक की चिता पर सम्मान के लिए डाला जाता था।
यूहन्ना, मारकुस, मत्ती और लूका के सुसमाचारों में इस बात पर मतभेद है कि जटामांसी का इत्र किसने डाला था? कुछ का कहना है कि वो मरियम ही थी, जिसने ईसा मसीह के उपर इत्र डाला था। लेकिन जो भी हो इत्र डालने के बाद ही ईसा मसीह ने ये संकेत दे दिए थे कि यह कार्य उनकी मृत्यु के बाद दफनाने की निशानी के रुप में हुआ है। जटामांसी का सीधा संबंध भारत से रहा है ।
ईसा मसीह और तुलसी का पौधा
- ईसा मसीह और तुलसी के पौधे के बीच क्या रिश्ता है इसे समझने के लिए हमें ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च की मान्यताओं को जानना चाहिए।ग्रीक आर्थोडोक्स चर्च का प्रभाव आज भी ग्रीस, बुल्गारिया, सर्बिया आदि देशो में हैं। ग्रीक ऑर्थोडोक्स चर्च की मान्यता के अनुसार तुलसी या होली बासिल एक पवित्र पौधा है।
- ग्रीक आर्थोडॉक्स चर्च की मान्यता के मुताबिक जब ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाया गया था तो उस क्रॉस के नीचे मरियम के आंसू और ईसा मसीह के खून गिरे थे। जिस स्थान पर मरियम के आंसू और जीसस के खून की बूंदे गिरी थी , वहीं पर तुलसी (जिसे होली बासिल कहा जाता है) के पौधे उगे थे।
- इसके अलावा ये भी मान्यता है कि जिस गुफा में यीशू को क्रॉस से उतार कर रखा गया था वहां तुलसी के पौधे का बागीचा था।
- एक मान्यता के अनुसार तुलसी के पौधो से ही ईसा की चिकित्सा की गई थी और वो फिर से स्वस्थ हो कर ईस्टर के दिन प्रगट हुए। ईसा ने इसके बाद गलीली में जाकर अपने भक्तों को दर्शन भी दिए । यूहन्ना के सुसमाचार के मुताबिक गुफा में ही यीशू ने मरियम को दर्शन दिया था।यूहन्ना के सुसमाचार के अनुसार ये मरियम मदर मैरी नहीं बल्कि ईसा की करीबी मैरी मगदलीन थी ।
ईसा मसीह को तुलसी के बगीचे में रखा गया था
ग्रीक आर्थोडॉक्स चर्च के मुताबिक जब किंग कांटिस्टैनपोल की माता हेलेना यरुशलम की तीर्थ यात्रा पर आई थी, तब उन्होंने उस पवित्र गुफा की खोज की थी जिसमें यीशू रखे गए थे और साथ ही और उस स्थान की खोज भी कर ली थी जहां यीशू को क्रॉस पर लटकाया गया था।
इन दोनों स्थानों की पहचान होली बासिल या तुलसी के बागीचे से की गई थी। आज भी ग्रीक आर्थोडॉक्स चर्च में तुलसी के पौधे से ही होली वाटर बनाया जाता है ‘होली बासिल’ या तुलसी के पौधे से ही क्रॉस पर लगाने के लिए सुगंधित तेल भी बनाया जाता है ।
ईसा मसीह और श्रीकृष्ण का रिश्ता क्या था?
- ईसा मसीह का एक रिश्ता भगवान श्रीकृष्ण से भी जोड़ा जाता है । कहा जाता है कि त्रिदेवों की संकल्पना में जिस प्रकार ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं उसी प्रकार होली ट्रीनिटी की संकल्पना ईसाइयत में भी है।
- जिस प्रकार कृष्ण त्रिदेवों में दूसरे स्थान पर आसीन विष्णु के अवतार हैं, उसी प्रकार ट्रीनिटी के सिद्धांत के अनुसार परमेश्वर के बाद दूसरे स्थान पर परमेश्वर का पुत्र अर्थात यीशू है ।
- कुछ आधुनिक मान्यताओ के अनुसार गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने खुद को जगत और ब्रह्मांड का पिता कहा है और यीशू ने खुद को परमेश्वर का पुत्र कहा है । तो इस सिद्धांत के अनुसार कृष्ण परमेश्वर है और यीशू उनके द्वारा भेजे गए पुत्र ।
- ग्रीक माइथोलॉजी में कृष्ण और यीशू दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है । कृष्ण का ग्रीक समानार्थी शब्द ‘क्रिस्टो’ है, जिसका अर्थ ‘दिव्य’ होता है । ‘क्रिस्टो’ शब्द से ही ‘क्राइस्ट’ निकला है जिसका अर्थ भी वही होता है जो कृष्ण का अर्थ है ।