राधा या राधारानी भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादनी शक्ति का नाम है । राधा का अर्थ होता है जिससे मोक्ष प्राप्त हो । कृष्ण राधा के बिना अधूरे हैं और राधा कृष्ण के बिना अधूरी हैं। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि महाभारत , रामायण , हरिवंशपुराण और श्रीमद्भागवत में कहीं भी राधा जी का उल्लेख नहीं है।
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क्या राधा का जिक्र ऋग्वेद में है
ऋग्वेद में इंद्र के लिए राधापति संबोधन आया है जिसका अर्थ संपत्ति देने वाले से लगाया जाता है । इसका अर्थ ये है कि राधा धन संपदा से जुड़ी हुई कोई शक्ति थीं, जो बाद में लक्ष्मी के रुप में विष्णु से संयुक्त हो गईं। वो फिर से राधा के रुप में श्रीकृष्ण की आह्लादिनि शक्ति के साकार रुप में प्रगट हुईं।
राधा कृष्ण एक ही हैं
ब्रह्मवैवर्त पुराण में सबसे पहली बार राधा जी का चरित्र स्पष्ट रुप से सामने आता है । ब्रह्मवैवर्त पुराण श्रीकृष्ण को ही आदिपुरुष मानता है जिनसे सारी सृष्टि की रचना होती है । कृष्ण ही सारी सृष्टि का पालन करते हैं और वही सृष्टि का संहार भी करते हैं। इन्हीं परमपुरुष श्रीकृष्ण से ब्रह्मा, विष्णु और शिव की उत्पत्ति हुई है। श्रीकृष्ण के आदेश से ब्रहमा विष्णु के नाभि पर तीन लोकों का निर्माण करते हैं, विष्णु इन तीन लोकों का ही पालन करते हैं , शिव इन तीन लोकों का संहार करते हैं। लेकिन इन सबसे उपर एक लोक गोलोक है जहां आदिपुरुष श्रीकृष्ण वास करते हैं
श्रीकृष्ण के अवतार हैं श्रीकृष्ण
जिन मथुरावासी और गोकुल के कृष्ण कन्हैया को हम पूजते हैं, वो उन्हीं परमपुरुष गोलोकवासी श्रीकृष्ण के अवतार हैं। ब्रम्हवैवर्त पुराण के अनुसार सभी लोकों से उपर एक लोक गोलोक है जो वैकुंठ से भी 200 योजन उपर है। गोलोक में ही परमपुरुष श्रीकृष्ण वास करते हैं। उन्होंने ही पृथ्वी पर मथुरा और द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के रुप में जन्म लिया है। पृथ्वी पर लीला करने के लिए ही उन परमपुरुष श्रीकृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया और वृंदावन में अपनी लीलाएं की।
श्रीकृष्ण से हुआ है राधा जी का जन्म
- राधा जी कोई अलग दैवीय शक्ति नहीं हैं बल्कि वो गोलोकवासी परमपुरुष श्रीकृष्ण के शरीर के वामभाग से प्रगट हुई है। गोलोकवासी राधा-कृष्ण एक ही परमसत्ता के दो अभिव्यक्तियां हैं।
- ब्रम्हवैवर्त पुराण और पद्मपुराण के अनुसार परमपुरुष श्रीकृष्ण के शरीर से निकलने वाली राधा रुपी ये महाशक्ति ही सृष्टि की आद्याशक्ति मानी जाती हैं ।
- ये श्रीकृष्ण की आनंदस्वरुपा शक्ति हैं जिन्हे आह्लादनी शक्ति भी कहा जाता है । ये श्रीकृष्ण के साथ गोलोकधाम में लीला करती हैं।
- राधा और कृष्ण दरअसल एक ही परमसत्ता के पुरुष और स्त्री रुप हैं , ठीक वैसे ही जैसे शिव और पार्वती अर्धनारीश्वर के रुप में संयुक्त शक्ति हो गए थे ,वैसे ही गोलोकवासी श्रीकृष्ण और राधा एक ही शक्ति से पुरुष और प्रकृति के रुप में विभक्त हो गए।
राधा के जन्म का रहस्य
ब्रम्हवैवर्त पुराण के अनुसार गोलोकवासी राधाजी का आविर्भाव परमपुरुष श्रीकृष्ण के वामभाग से हुआ है।राधा जी के रोमकूपों से असंख्य गोपियों ने जन्म लिया श्रीकृष्ण के शरीर के रोम से 30 करोड़ गोपों ने जन्म लिया । श्रीकृष्ण के शरीर के रोमों से ही असंख्य गायों ने भी जन्म लिया । गायों के साथ एक बैल का भी जन्म हुआ जिसे उन्होंने भगवान शिव को भेंट कर दिया।
बम्हवैवर्त पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण के आदेश से बरसाने मे वृषभानु के घर पर राधा प्रगट हुईं या फिर अवतरित हुईं। लेकिन कई दूसरे ग्रंथों के अनुसार राधा रानी के जन्म की अलग- अलग कथाएं मिलती हैं। एक मान्यता के अनुसार वृषभानु गोप ने एक सरोवर में एक अद्भुत कमल की पंखुड़ियों के बीच राधा जी को पाया और उसे घर लाकर अपनी बेटी की तरह पालने लगे।
एक मान्यता के अनुसार राधा जी वायुरुप में वृषभानु की पत्नी के गर्भ में प्रवेश कर गईं और इस प्रकार गोलोकवासी राधा का जन्म पृथ्वी पर हुई। एक मान्यता ये भी है कि वृषभानु को राधा अचानक अपने घर की भूमि पर पड़ी हुई मिलीं। वो आश्चर्यचकित हो ग्ए । उन्होंने राधा को अपनी बेटी के समान पालना शुरु कर दिया।
शाप की वजह से हुआ राधा का अवतार
ब्रम्हवैवर्त पुराण के अनुसार गोलोकवासी श्रीकृष्ण से मिलने के लिए राधा उनके पास जा रही थीं कि श्रीकृष्ण के सखा श्रीदाम ने उन्हें रोक दिया । राधा जी को क्रोध आ गया और उन्होंने श्रीदाम को असुर योनि में जन्म लेने का शाप दे दिया। श्रीदाम जी ने भी राधा जी को शाप दे दिया कि उन्हें मनुष्य योनि में जन्म लेना पड़ेगा।
गोलोकवासी राधा जी को शाप की वजह से वृषभानु के घर जन्म लेना पड़ा और श्रीदाम शँखचूड़ नामक असुर के रुप मे जन्मे।
राधा जी अँधी बनी रहीं
एक मान्यता के अनुसार राधा जी श्रीकृष्ण से उम्र में 11 महीने बड़ी हैं। जब गोलोकवासी श्रीकृष्ण ने राधा जी को पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए आदेश दिया तो राधा जी ने वृषभानु के घर जन्म तो लिया लेकिन उन्होंने अपनी आंखें नहीं खोली। कई महीनों तक जब उन्होंने अपनी आंखे नहीं खोलीं तो बरसाने के लोगों को लगने लगा कि ये एक नेत्रहीन बालिका है।
लेकिन जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो वृषभानु की पत्नी अपनी बेटी राधा को लेकर गोकुल आईं। राधा जी के सामने जैसे ही बालकृष्ण आए उन्होंने अपनी आँखे खोल दी । दरअसल राधा जी बिना श्रीकृष्ण के प्रथम दर्शन के अपनी आँखे खोलना ही नहीं चाहती थीं।
क्या राधा जी की मृत्यु हुई थी ?
ब्रम्हवैवर्त पुराण के अनुसार जब गोलोकवासी श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर अपने अवतार का उद्देश्य पूरा कर लिया तब उन्होंने अपनी लीला का संवरण करना शुरु कर दिया। ग्रंथ के अनुसार उन्होंने राधाजी को आदेश दिया कि वो गोलोक लौट जाएँ। देखते ही देखते एक विमान गोलोक से उतरा और राधा जी सभी गोपियों के साथ उस विमान में बैठ कर गोलोक चली गईं।
एक दूसरी मान्यता के अनुसार जब श्रीकृष्ण वापस अपने धाम एक विमान से जा रहे थे तो उस विमान पर श्रीकृष्ण की सारी पत्नियां थीं लेकिन राधा जी नहीं थीं। तभी श्रीकृष्ण ने अपनी मुरली की तान छेड़ी और राधा जी अचानक उनके सामने आ गईं।
जैसे- जैसे मुरली की तान सुरीली होती गई राधा जी श्रीकृष्ण में विलीन होती गईं। राधा का श्रीकृष्ण में विलय हो गया । क्योंकि राधा और कृष्ण दो व्यक्तित्व नहीं हैं बल्कि वो एक ही परमसत्ता के दो अभिव्यक्त रुप हैं।