नवरात्रि दुर्गा सप्तशती

भविष्य में अवतार लेने वाली महाशक्ति -श्री दुर्गा सप्तशती

मां दुर्गा जिन्हें हम नवरात्रि उत्सव में पूजते हैं , जिनकी वंदना करते हैं और जिन्हें आद्या शक्ति का सबसे महान स्वरुप माना जाता है क्या उनका अवतार हो चुका है या फिर वो भविष्य में कल्कि अवतार की तरह अवतार लेने वाली महाशक्ति का नाम है । मां दुर्गा जिन्हें दुर्ग नामक राक्षस के संहार की वजह से जाना जाएगा , क्या दुर्ग नामक राक्षस का संहार हो चुका है या फिर दुर्ग नामक राक्ष, भविष्य में होने वाले किसी राक्षसी आपदा का नाम है । 

दुर्गा सप्तशती भविष्य में आएंगी मां दुर्गा 

श्री दुर्गा सप्तशती में अम्बिका देवी के द्वारा महिषासुर के संहार की कथा है । माता चंडिका के द्वारा शुम्भ और निशुम्भ के वध की भी कथा है । माता कालिका के रुप में आद्या शक्ति रक्तबीज और चण्ड तथा मुंड का संहार करती हैं। माता चंडिका के साथ कई अन्य देवियां भी सहयोगी शक्तियों के रुप में कार्य करती हैं जिनमें वाराही, इंद्राणी, महेश्वरी, नृसिंही, कौमारी आदि हैं। लेकिन इन शक्तियों में कहीं भी मां दुर्गा नज़र नहीं आती हैं। नवरात्रि में सिर्फ श्री दुर्गा सप्तशती के एकादश या ग्यारहवें अध्याय में मा दुर्गा के स्वरुप और उनके कार्यों का वर्णन आता है जो वो भविष्य में करने वाली हैं । 

 श्री दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय में है मां दुर्गा की महिमा 

 नवरात्रि में श्री दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय में जब माता चंडिका शुम्भ और निशुम्भ का वध कर देती हैं तब सभी देवी देवता उस आद्या शक्ति की प्रार्थना करते हैं जिनसे मां चंडिका का आविर्भाव हुआ था । देवी देवता उन्हें नारायणी के नाम से पुकारते हैं। इस अध्याय में 

मां नारायणी चंडिका एकादश अध्याय में देवताओं को आश्वासन देते हुए कहती हैं कि –

इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यती।
तदा- तदावतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम।।

अर्थः – जब जब दानवों के द्वारा भविष्य में कोई बाधा की जाएगी तब तब मैं अवतार लेकर रक्षा करुंगी

इससे स्पष्ट होता है कि मां नारायणी आद्या शक्ति का एक स्वरुप है जो नारायण की शक्ति हैं। जिस प्रकार नारायण धर्म की संस्थापना और दुष्टों के विनाश के लिए अवतरीत होते है उसी प्रकार नारायणी भी हरेक युग में दुष्टों और दानवों के संहार के लिए अवतार लेती हैं। मां नारायणी इसी संदर्भ में देवताओं की एक प्रार्थना का जवाब देती हैं । वह प्रार्थना है –

सर्वबाधाप्रशमनं त्रैलोक्स्याखिलेश्वरी ।
एवमेव त्वया कार्यम्समदवैरिविनाशनम ।।

अर्थः – हे मां हमारी सारी बाधाओं का प्रशमन करों और सभी कार्यों को पूरा कर हमारे वैरियों का विनाश करो ।

मां नारायणी के भविष्य में होने वाले अवतारों का वर्णन 

इसके बाद मां नारायणी देवताओं को आश्वासन देती हैं और भविष्य में अपने होने वाले अवतारों के बारे में सूचित करती हैं –

आद्य शक्ति मां कहती हैं –

पुरप्यति रौद्रेण रुपेण पृथ्वीतले।
अवतीर्य हनिष्यामि वैप्रचिंतास्तु दानवान।।

अर्थः – मैं फिर से अवतार लेकर वैप्रचित्त नामक दानव का संहार करुंगी

रक्ता दन्ता भविष्यंति दाडिमिकुसुमोपमा।
अर्थः – तब मुझे रक्तदंतिका के नाम से भविष्य में पुकारा जाएगा

भूयश्च शतवर्षिक्यामनावृष्टया मनम्भसि।
मुनिभि संस्तुता भूमौं सम्भविष्याम्ययोनिजा।।
तत शतेन नेत्राणां निरीक्षिष्यामि यनमुनिन्।
कीर्तष्यिंति मनुजा शताक्षीमिति मां तत्।।

 अर्थः – जब पृथ्वी पर सौ वर्षों के लिए वर्षा रुक जाएगी, उस समय मुनियों के द्वारा स्तुति करने पर मैं पृथ्वी पर अयोनिजा के रुप में प्रगट हूंगी और सौ नेत्रों से मुनियों को देखूंगी।तब मनुष्य शताक्षी के रुप में मेरा कीर्तन करेंगे

ततोहंखिलं लोकमात्मदेहसुद्भवै।
भरिष्यामि सुरा शाकैरावृष्टै प्राणधारकै।।
शाकम्भरीतिं विख्यातिं तदा यास्याम्यहं भुवि।
तत्रैव च बधिष्यामि दुर्गमाख्यं महासुरम।
दुर्गा देविति विख्यातं तन्में नाम भविष्यति।।

 अर्थः – इसी अवतार में मैं शाक सब्जियों के द्वारा समस्त संसार का पोषण करुंगी। ऐसा करने से शाकंभरी के नाम से इस भूमि पर मेरी ख्याति होगी। इसी अवतार में मैं दुर्ग नामक महा असुर का वध करुंगी और इससे मेरा नाम दुर्गा देवी के रुप में प्रसिद्ध होगा।

मां दुर्गा के बाद भी कई अवतार लेंगी नारायणी शक्ति 

श्री दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा आखिरी अवतार नहीं होंगी , बल्कि इसके बाद भी आद्या शक्ति कई अन्य अवतार लेंगी जिसका वर्णन भी श्री दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय में किया गया है –

पुनश्चाहं यदा भीमं रुपं हिमाचले ।
रक्षांसि भक्षयिष्यामि मुनीनां त्राणकारणात् ।।
तदा मां मुनयः सर्वे स्तोष्यनम्रमूर्तः ।
भीमा देवेति विख्यातं तन्में नाम भविष्यति ।।
यदारुणाख्यस्त्रैलौक्ये महाबाधा करिष्यति ।
तदाहं भ्रामरं रुपं कृत्वाSसंख्येयषटपद्म्।
त्रैलोकस्य हितार्थाय वधिष्यामि महासुरम ।।
भ्रामरीति च मां लोकस्तदा स्तोष्यतिं सर्वतः ।

अर्थः – मैं भीम रुप धारण करके मुनियों की रक्षा के लिए हिमालय के राक्षसों का भक्षण करुंगी । उस समय सभी मुनि नतमस्तक होकर  मेरी स्तुति करेंगे तब मेरा नाम भीमा देवी के नाम से विख्यात होगा । जब अरुण नामक दैत्य तीनों लोकों में उपद्रव मचाएगा ।तब मै तीनों लोकों का हित करने के लिए मैं छह पैरोंवाले असंख्य भ्रमरों का रुप धारण कर उस महादैत्य का वध करुंगी तब लोग भ्रामरी के नाम से मेरी सब जगह स्तुति करेंगे । 

नारायण की तरह नारायणी का भविष्य में होने वाला अवतार 

आमतौर पर हम नवरात्रि में सिर्फ नारायण के अवतारों के रुप में ही जानते हैं । इनके अलावा भगवान शिव के कुछ अवतारों का भी वर्णन आता है । लेकिन शाक्त संप्रदाय में देवी भी अवतार लेती हैं और संसार का कल्याण करती हैं। श्री दुर्गा सप्तशती से ही  स्पष्ट है कि माता दुर्गा ही भविष्य में फिर से प्रगट होने वाली आद्या शक्ति का स्वरुप हैं।इसके अलावा भीमा देवी और भ्रामरी भी भविष्य में होने वाले देवी के अवतार ही हैं। नारायण की तरह आद्या शक्ति भी संसार के कल्याण के लिए और धर्म की संस्थापना के लिए अवतार लेती हैं। उनके अवतारों के बारे में देवी भागवतम्. मार्कण्डेय पुराण और अन्य शाक्त ग्रंथों में भी बताया गया है ।

 ये ठीक वैसे ही है जैसे कल्कि पुराण को भविष्य में प्रगट होने वाले कल्कि भगवान के नाम पर रखा गया है जबकि उस पुराण में भगवान विष्णु के पहले के सभी अवतारों का भी वर्णन है और भविष्य में होने वाले कल्कि भगवान का भी। वैसे ही दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा से पहले के हुए आद्या शक्ति के अवतारों का भी वर्णन है और भविष्य में होनें वाली मां दुर्गा के नाम पर इस ग्रंथ का नाम रखा गया है। ऐसा कई ग्रंथों मे वर्णन है कि नारायण के साथ वैष्णवी शक्ति भी अवतार लेंगी और वो भगवान कल्कि के साथ दुष्टों का संहार करेंगी । भविष्य में वैष्णों माता की कल्कि भगवान से साथ अवतार लेंगी । 

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