मां गायत्री : सृष्टि की आदि शक्ति

सनातन धर्म में गायत्री मंत्र को सबसे पवित्र और सबसे महान मंत्र कहा गया है। गायत्री मंत्र वेदमाता गायत्री को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि 24 अक्षरों वाले इस महामंत्र का रहस्य आज तक सिर्फ 24 महान ऋषियों को ही ज्ञात हो सका है। इस 24 अक्षर के महामंत्र के प्रथम दृष्टा ऋषि विश्वामित्र हैं तो आखिरी ज्ञाता ऋषि याज्ञवलक्य हैं। लेकिन आखिर जिन मां गायत्री को ये महामंत्र समर्पित हैं वो हैं कौन ?

कौन हैं गायत्री माता :

गायत्री को वेदमाता कहा गया है अर्थात सभी चारो वेदों की उत्पत्ति उन्ही से हुई है। वेदों को सभ्यता की पुस्तके कहा गया है। अर्थात सभ्यता की शुरुआत वेदों से ही मानी जाती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक गायत्री को ब्रम्हा की आदि शक्ति कहा गया है।

कहा जाता है कि ब्रम्हा ने जब सृष्टि का निर्माण शुरु करने के लिए यज्ञ किया तो उन्होंने गायत्री माता से विवाह किया । सावित्री माता को ब्रम्हा की पहली पत्नी कहा गया है। लेकिन कहा जाता है कि सावित्री ने ब्रम्हा जी के यज्ञ में पहुंचने में विलंब कर दिया इस लिए ब्रम्हा जी ने सृष्टि निर्माण यज्ञ के लिए गायत्री को चुन लिया।

माता गायत्री करती हैं सृष्टि का निर्माण :

गायत्री को ब्रम्ह की योनि अर्थात मूल कर कर वंदना की गई है। कहा जाता है कि ब्रम्हा सृष्टि के निर्माण के साथ ही निष्क्रिय हो जाते हैं और उनकी शक्ति गायत्री ही सृष्टि के निर्माण का कार्य अपने हाथो में ले लेती हैं और यज्ञ व्यवस्था को स्थापित करती हैं जिनसे सृष्टि का निर्माण और संचालन आगे बढ़ता है। गायत्री मंत्र के तीनों पदों से ही तीनो लोकों और त्रिदेवों का उद्भव बताया गया है। शैव मत के मुताबिक मन्नोमनी गायत्री शिव की अर्धांगिनि भी है।

गायत्री हैं लक्ष्मी स्वरुपा :

वैष्णव मत में गायत्री को लक्ष्मी स्वरुपा बताया गया है। माना जाता है कि गायत्री मंत्र के द्वारा ही सारी सृष्टि का निर्माण कार्य हुआ है। कई महान ग्रंथों की रचना का मूल आधार भी गायत्री मंत्र ही है।

गायत्री मंत्र से बना वाल्मीकि रामायण :

वाल्मीकी रामायण के 24 हजार मंत्रों को गायत्री मंत्र के शब्दों पर ही रचा गया है। श्री वेद व्यास जी ने भी श्री मद् भागवतम की रचना का आधार गायत्री मंत्र से ही लिया है। श्री देवी भागवतम की रचना का आधार भी गायत्री ही है। जिस प्रकार मां गंगा हमारे इस लोक के पापों को नष्ट कर देती हैं उसी प्रकार गायत्री मंत्र हमारी आत्मा की अशुद्धियोंको दूर कर हमें मुक्त कर देती हैं। गायत्री मंत्र भगवान सूर्य के आदि स्वरुप सविता को समर्पित किया गया है। सविता सूर्य के उदय होने के पहले की स्थिति है। अर्थात सूर्य जो इस जगत को प्रकाशमान कर सृष्टि की गति को चलायमान रखते हैं उसकी शक्ति भी उन्हें गायत्री से ही मिलती है। कहा जाता है कि जो तीनों संध्याओं में गायत्री की उपासना करता है वो अपने पिछले, वर्तमान और अगले जन्मों के सभी पापों से खुद को मुक्त कर लेता है।

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