महावीर हनुमान जी को बनाइये अपना मित्र

श्री राम के प्रति भक्ति अगर आपके अंदर है तो महावीर हनुमान जी आपके मित्र , सखा. संकटमोचक सभी बन जाएंगे। विभिषण के साथ भी महावीर हनुमान जी ने यही किया । उन्हें मित्रता की । उन्हें श्री राम की शरण दिलाई। इसके बाद श्री राम की कृपा से विभिषण लंकेश बने।  सुग्रीव और विभिषण दोनों के ही उदाहरणों से साफ है कि अगर आप में श्री राम के प्रति भक्ति है तो महावीर हनुमान जी निश्चय ही आपके मित्र, सखा, गुरु ,अभिभावक , पिता बन कर आपको श्री राम की शरण में ले जाएंगे और फिर आपका कल्याण तय है । जय सियाराम . जय हनुमान ।।

सुग्रीव और हनुमान जी की मित्रता :

श्री राम के प्रति भक्ति अगर आपके अंदर है तो महावीर हनुमान जी आपके मित्र , सखा. संकटमोचक सभी बन जाएंगे। विभिषण के साथ भी महावीर हनुमान जी ने यही किया । उन्हें मित्रता की । उन्हें श्री राम की शरण दिलाई। इसके बाद श्री राम की कृपा से विभिषण लंकेश बने।  सुग्रीव और विभिषण दोनों के ही उदाहरणों से साफ है कि अगर आप में श्री राम के प्रति भक्ति है तो महावीर हनुमान जी निश्चय ही आपके मित्र, सखा, गुरु ,अभिभावक , पिता बन कर आपको श्री राम की शरण में ले जाएंगे और फिर आपका कल्याण तय है । जय सियाराम . जय हनुमान ।।

श्री राम के प्रति भक्ति अगर आपके अंदर है तो महावीर हनुमान जी आपके मित्र , सखा. संकटमोचक सभी बन जाएंगे। विभिषण के साथ भी महावीर हनुमान जी ने यही किया । उन्हें मित्रता की । उन्हें श्री राम की शरण दिलाई। इसके बाद श्री राम की कृपा से विभिषण लंकेश बने।  सुग्रीव और विभिषण दोनों के ही उदाहरणों से साफ है कि अगर आप में श्री राम के प्रति भक्ति है तो महावीर हनुमान जी निश्चय ही आपके मित्र, सखा, गुरु ,अभिभावक , पिता बन कर आपको श्री राम की शरण में ले जाएंगे और फिर आपका कल्याण तय है । जय सियाराम . जय हनुमान ।।

हनुमान जी और जाम्बवंत की मित्रता :

श्री राम के प्रति भक्ति अगर आपके अंदर है तो महावीर हनुमान जी आपके मित्र , सखा. संकटमोचक सभी बन जाएंगे। विभिषण के साथ भी महावीर हनुमान जी ने यही किया । उन्हें मित्रता की । उन्हें श्री राम की शरण दिलाई। इसके बाद श्री राम की कृपा से विभिषण लंकेश बने।  सुग्रीव और विभिषण दोनों के ही उदाहरणों से साफ है कि अगर आप में श्री राम के प्रति भक्ति है तो महावीर हनुमान जी निश्चय ही आपके मित्र, सखा, गुरु ,अभिभावक , पिता बन कर आपको श्री राम की शरण में ले जाएंगे और फिर आपका कल्याण तय है । जय सियाराम . जय हनुमान ।।

पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।।
कवन सो काज कठिन जग माहि । जो नहीं होत तात तुम पाहि ।।

इसके बाद महावीर हनुमान जी को अपनी अपरंपार शक्ति का अहसास हुआ । जाम्बवंत जी ने यह भी उन्हें याद दिलाया कि महावीर हनुमान जी का जन्म ही श्री राम के कार्यों को करने के लिए हुआ है – 

राम काज लगि तव अवतारा । सुनतहिं भयहुं परबतकारा।।

वो जाम्बवंत जी ही थे जिन्होंने महावीर हनुमान जी को संजीवनी बूटी के बारे में बताया और उन्हें हिमालय पर्वत पर जाने के लिए कहा । महावीर हनुमान जी के प्रति जाम्वबंत जी का प्रेम अद्भुत और अनुकरणीय इसलिए भी बना क्योंकि महावीर हनुमान जी ने भी अपने विनय और नम्रता से ब्रम्हा जी के पुत्र जाम्वबंत को अपना बना लिया था। 

विभीषण और बजरंग बली की दोस्ती :

श्री राम के प्रति भक्ति अगर आपके अंदर है तो महावीर हनुमान जी आपके मित्र , सखा. संकटमोचक सभी बन जाएंगे। विभिषण के साथ भी महावीर हनुमान जी ने यही किया । उन्हें मित्रता की । उन्हें श्री राम की शरण दिलाई। इसके बाद श्री राम की कृपा से विभिषण लंकेश बने।  सुग्रीव और विभिषण दोनों के ही उदाहरणों से साफ है कि अगर आप में श्री राम के प्रति भक्ति है तो महावीर हनुमान जी निश्चय ही आपके मित्र, सखा, गुरु ,अभिभावक , पिता बन कर आपको श्री राम की शरण में ले जाएंगे और फिर आपका कल्याण तय है । जय सियाराम . जय हनुमान ।।

रामायुध अंकित गृह सोभा बरनी न जाई ।
तव तुलसिका वृंद तहं देख हरिष कपिराई।।

भावार्थ : महावीर हनुमान जी ने एक ऐसा घर देखा जहां भगवान राम के आयुध धनुष बाण के चिन्ह अंकित थे और वहां तुलसी के पौधे लगे हुए थे

इसे देख कर ही महावीर हनुमान जी को लग गया कि यह किसी सज्जन का घर है – 

लंका निसिचर निकर निवासा । इहां कहां सज्जन कर बासा ।
मन महुं तरक करैं कपि लागा । तेहि समय विभिषणु जागा ।।
राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा ।ह्दयं हरष कपि सज्जन चीन्हा ।
ऐही सन सठि करिहहुं पहिचानी ।साधु ते होई न कारज हानी ।।

श्री राम के प्रति भक्ति अगर आपके अंदर है तो महावीर हनुमान जी आपके मित्र , सखा. संकटमोचक सभी बन जाएंगे। विभिषण के साथ भी महावीर हनुमान जी ने यही किया । उन्हें मित्रता की । उन्हें श्री राम की शरण दिलाई। इसके बाद श्री राम की कृपा से विभिषण लंकेश बने।  सुग्रीव और विभिषण दोनों के ही उदाहरणों से साफ है कि अगर आप में श्री राम के प्रति भक्ति है तो महावीर हनुमान जी निश्चय ही आपके मित्र, सखा, गुरु ,अभिभावक , पिता बन कर आपको श्री राम की शरण में ले जाएंगे और फिर आपका कल्याण तय है । जय सियाराम . जय हनुमान ।।

श्री राम के प्रति भक्ति अगर आपके अंदर है तो महावीर हनुमान जी आपके मित्र , सखा. संकटमोचक सभी बन जाएंगे। विभिषण के साथ भी महावीर हनुमान जी ने यही किया । उन्हें मित्रता की । उन्हें श्री राम की शरण दिलाई। इसके बाद श्री राम की कृपा से विभिषण लंकेश बने।  सुग्रीव और विभिषण दोनों के ही उदाहरणों से साफ है कि अगर आप में श्री राम के प्रति भक्ति है तो महावीर हनुमान जी निश्चय ही आपके मित्र, सखा, गुरु ,अभिभावक , पिता बन कर आपको श्री राम की शरण में ले जाएंगे और फिर आपका कल्याण तय है । जय सियाराम . जय हनुमान ।।

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