मां दुर्गा सभी संकटो को हरने वाली मां

Navratri: Durga the Supreme Mother,माँ दुर्गा: सभी संकटो को हरने वाली शक्ति

शुद्ध सनातन धर्म इकलौता ऐसा धर्म है जिसमें परमेश्वर को सिर्फ पुरुष रुप में ही नहीं बल्कि स्त्री ( माँ दुर्गा ) रुप में भी दिखाया गया है । ब्रह्मांड की सर्वोच्च ईश्वरीय शक्ति को मातृ रुप में दिखाने की परंपरा सिर्फ सनातन धर्म में ही है । आद्या शक्ति जिनसे समस्त सृष्टि का निर्माण, पालन और संहार होता है, उनके तीन स्वरुपों महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली की अराधना तो होती ही है ,लेकिन इन तीनों के एकाकार रुप माँ जगदंबा या माँ दुर्गा की अराधना भी पूरे देश में की जाती है ।

माँ दुर्गा समस्त ईश्वरीय शक्तियों की रुप हैं :

माँ दुर्गा को समस्त ईश्वरीय शक्तियों के संयुक्त शक्ति के रुप में पूजा जाता है । ऐसी मान्यता है कि जब सभी देवताओं को ये लगा कि वो महिषासुर का वध नहीं कर सकते हैं और महिषासुर सिर्फ एक स्त्री शक्ति के द्वारा ही मारा जा सकता है, तब त्रिदेवों के साथ सभी देवताओं के अंदर से जो स्त्री शक्तियों का पूंजीभूत स्वरुप निकला उससे ही माँ दुर्गा का आविर्भाव हुआ। माँ दुर्गा सभी दैवी शक्तियो का सम्मिलित स्वरुप हैं।

उन्होंने ही महिषासुर, शुम्भ और निशुम्भ जैसे राक्षसों का संहार कर इस ब्रम्हांड को नष्ट होने से बचाया और आसुरी शक्तियों का खात्मा किया । माँ दुर्गा ने सभी देवताओं के कष्टों को हरने के बाद सभी प्राणियों को यह वरदान भी दिया है कि जब जब पृथ्वी पर दानवों का उत्पात बढ़ेगा, वो पृथ्वी पर बार बार अवतार धारण करेंगी और कष्टों का हरण भी करेंगी –

यदा यदा ही बाधा दानवोत्था भविष्यति ।
तदा – तदावतीर्याहं करिष्यामिसंरक्षम ।।

श्री दुर्गा सप्तशती

ऐसा आश्वासन माँ दुर्गा के अलावा भगवान विष्णु ने ही दिया है, जब उन्होंने कृष्णावतार में अर्जुन को गीता का ज्ञान देते वक्त समस्त प्राणियों को यह आश्वासन दिया कि जब – जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होगी और साधुओं का अपमान होगा, तब तब वो पृथ्वी पर धर्म की संस्थापना के लिए अवतार ग्रहण करेंगे । 

माँ दुर्गा के इसी आश्वासन का फल है कि श्रीदुर्गा सप्तशती में कई ऐसे श्लोक हैं, जिनके जप और पाठ मात्र से ही कष्टों का हऱण हो जाता है । इनमें एक जो सबसे महत्वपूर्ण मंत्र है –

सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी ।
एवमेव त्वया कार्यम्स्मदवैरिविनाशनम ।।

आम तौर पर ये माना जाता है कि यह मंत्र शत्रुओं के शमन के लिए है, लेकिन वास्तव में हमारे शत्रु सिर्फ मानव नहीं होते बल्कि हमारी कमजोरियां. हमारी बीमारियां, हमारे कमजोर आर्थिक संसाधन ये भी हमारे दुश्मन ही होते हैं। ऐसे में इस मंत्र के जाप से इन सभी कष्टों का निवारण करने का आश्वासन मां दुर्गा ने स्वयं दिया है । 

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