ऐसी मान्यता है कि भगवान योगनिद्रा में सोये रहते हैं। भगवान विष्णु की आंखे आधी खुली और आधी बंद रहती हैं। भगवान विष्णु की आंखे आधी बंद से वो ध्यान में मग्न और आनंदित रहते हैं जबकि आधी खुली आंखो से वो संसार का पालन कार्य देखते रहते हैं। भगवान के नेत्रों में महामाया का वास है।
ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतिपिवा:।
य: स्मरेतपुंडरीकाक्ष स: वाह्याभ्यंतर: शुचि।।
अर्थात : भगवान विष्णु के कमल नयनों का ध्यान करता हूं जिससे मेरा बाहरी शरीर और आंतरिक आत्मा दोनों अपवित्र से पवित्र हो जाएं। भगवान श्री हरि विष्णु के कमल नयनों की महिमा अपरंपार हैं। भक्त उनके कमल नयनों का ध्यान मात्र करने से पवित्र हो जाते हैं। भगवान श्री हरि विष्णु को क्षीर सागर में शयन करते दिखाया गया है।
भगवान विष्णु की आंखे की अनुपम शक्ति :
महामाया भगवान श्री हरि विष्णु की अनुपम शक्ति हैं जो संसार की सृष्टि, पालन और संहार का कार्य करती हैं। वहीं संसार को लय में ले जाकर भगवान श्री हरि विष्णु को योगनिद्रा में ले जाती हैं और भगवान शेषनाग की शय्या पर निद्रा में मग्न हो जाते हैं। ये महामाया ही महाकाली कहलाती हैं। भगवान के दोनों नयन करुणा से भरे रहते हैं । उनके नयनों की प्रेम दृष्टि लगातार उनके चरणो के पास बैठी लक्ष्मी और सरस्वती पर पड़ती रहती है। लक्ष्मी और सरस्वती दोनों भगवान के इन दोनों कमल नयनों की तरफ देखती रहती हैं और संसार को चलायमान रखती हैं।
भगवान श्री हरि विष्णु के मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार श्री राम को भी उनकी मां कौशल्या राजीव लोचन कह कर पुकारती थीं। भगवान श्री कृष्ण के नयनों को भी कमल नयन कहा जाता रहा है। लेकिन भगवान श्री हरि विष्णु के नयनों को कमलनयन कहने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है। कहा जाता है कि एक बार दैत्यों के अत्याचारों से पीड़ित होकर देवताओं ने भगवान श्री हरि विष्णु से दैत्यों का संहार करने की प्रार्थना की। इन असुरों का राजा श्री दामा नामक एक राक्षस था। इस राक्षस ने अपने तप से श्री लक्ष्मी को भी अपने वश में कर लिया था और भगवान श्री हरि विष्णु के श्री वत्स को भी छीनने को तैयार था।
भगवान विष्णु को इन दैत्यों और श्री दामा के संहार के लिए एक अभेद अस्त्र की आवश्यकता पड़ी। भगवान श्री हरि विष्णु ने अस्त्र को प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की अराधना शुरु की।
- श्री विष्णु ने भगवान शिव को 1000 कमल के पुष्प अर्पित करने का संकल्प लिया।
- भगवान विष्णु ने जब 999 पुष्प भगवान भोलेनाथ को अर्पित कर दिये तब एक कमल का पुष्प भगवान शिव ने गायब कर दिया
- विष्णु ने अपनी एक आंख को ही कमल के समान बना कर उनको अर्पित कर दिया। इससे शिव प्रसन्न हो गए और उन्होंने भगवान शिव को अमोघ सुदर्शन चक्र प्रदान किया
- भगवान विष्णु ने श्री दामा और अन्य दैत्यों का संहार कर दिया। इसके बाद ही विष्णु को कमल नयन कहा जाने लगा। इसी प्रकार की एक कथा कृतिवास द्वारा रचित बंगाली रामायण में भगवान श्री राम के लिए भी है।
जब भगवान श्री राम ने रावण के पक्ष में देवी दुर्गा को साक्षात खड़ा देखा तो भगवान ने देवी दुर्गा की उपासना शुरु की। जब भगवान श्री राम ने मां दुर्गा को 107 कमल के फूल चढ़ा दिये तो आखिरी कमल का पुष्प मां दुर्गा ने गायब कर दिया। भगवान श्री राम पहले तो चिंतित हुए लेकिन फिर उन्हें याद आया कि उनकी माता कौशल्या उनके कमल जैसी आंखो की वजह से उन्हें राजीवलोचन कह कर पुकारती थीँ। फिर श्री राम ने मां दुर्गा को जैसे ही अपना एक आंख चढ़ाने के लिए तीर निकाला मां दुर्गा प्रसन्न हो गईं और उन्होने श्री राम को विजय का आशीर्वाद दिया। हिंदी के महाकविनिराला ने भी राम की शक्तिपूजा के नाम से इसी प्रसंग पर कविता की रचना की है।
भगवान श्री हरि विष्णु के कमल नयनों के ध्यान मात्र से ही सभी पापो से मुक्ति मिल जाती है। नारायण – नारायण।