हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी

क्या महावीर हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी हैं

शुद्ध सनातन धर्म में महावीर हनुमान जी को भक्त शिरोमणि कहा गया है । महावीर हनुमान जी की श्री राम भक्ति ठीक वैसे ही है जैसे श्री हरि विष्णु के प्रति नारद जी और ध्रुव और प्रह्लाद जी की भक्ति ।

कहीं हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी तो कहीं विवाहित हैं :

संपूर्ण विश्व में महावीर हनुमान जी के निजी जिंदगी को लेकर अलग – अलग तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं । कहीं हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी माना जाता है तो कहीं उन्हें विवाहित माना जाता रहा है। कहीं – कहीं उनकी तीन पत्नियों का वर्णन आता है तो इंडोनेशिया और सूदूर दक्षिण भारत में उनकी पांच पत्नियों का भी वर्णन आता है ।

वाल्मीकि रामायण विवाह का जिक्र नहीं :

लेकिन ये सभी मान्यताएं लोक श्रुतियों और बाद के ग्रंथों विशेषकर दक्षिण भारत की ग्रंथो में पाई जाती हैं। उत्तर  भारत में लिखे ग्रंथो में हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी जी की वैवाहिक स्थिति के बारे में लगभग मौन ही रखा गया है। प्रथम और सबसे प्राचीन वाल्मीकि रामायण में महावीर हनुमान जी की निजी और पारिवारिक जिंदगी के बारे में मौन ही रखा गया है । किष्किंधाकांड मे सिर्फ जाम्बवंत जी एक बार हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी जी के दिव्य जन्म की कथा बताते हैं और उन्हें अंजनी के पुत्र के रुप में बताते हैं। जाम्बवंत जी ही यह कथा भी बताते हैं कि किस प्रकार पवन देव की कृपा से महावीर हनुमान जी का अवतरण हुआ । केसरी जी ने उन्हें अपने दत्तक पुत्र के रुप में मान्यता दी । इसके अलावा वाल्मीकि रामायण में महावीर हनुमान जी को सुग्रीव के मंत्री और श्री राम के दूत के रुप में ही ज्यादातर दिखलाया गया है ।

रामचरितमानस में हनुमान जी के विवाह का जिक्र नहीं :

यहां तक कि तुलसीदास जी ने अपने रामचरितमानस में भी महावीर हनुमान जी बाल ब्रम्हचारीजी की वैवाहिक स्थिति के बारे मे कुछ भी नहीं कहा है तुलसी ने भी महावीर हनुमान जी को श्री राम भक्त और दास के रुप में ही ज्यादा वर्णित किया है । यहां तक कि सबसे प्राचीन दक्षिण भारतीय कम्ब रामायण में भी महावीर हनुमान जी के वैवाहिक स्थिति के बारे में कोई उल्लेख नहीं है । हनुमान जी बाल ब्रम्हचारी होने को लेकर तो कंब रामायण में कोई उल्लेख नहीं है लेकिन जब हनुमान जी श्री राम के पास सुग्रीव का संदेश लेकर जाते हैं तो ब्रम्हचारी का रुप जरुर धारण करते हैं ऐसा कम्ब रामायण में उल्लेख है ।

पराशर संहिता में हनुमान जी विवाहित हैं :

पराशर संहिता के अनुसार महावीर हनुमान जी की पत्नी का नाम सुवर्चला है और वो भगवान सूर्य की पुत्री हैं । पराशर संहिता की कथा के मुताबिक भगवान सूर्य से जब हनुमान जी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तो 9 दिव्य सिद्धियों में से 4 सिद्धियां तो हनुमान जी को प्राप्त हो गईं। लेकिन 5 अन्य सिद्धियों को सिर्फ वही प्राप्त कर सकता था । ऐसे में भगवान सूर्य ने अपनी पुत्री सुवर्चला से हनुमान जी का विवाह करने का प्रस्ताव दिया , लेकिन हनुमान जी अविवाहित रहना चाहते थें । तब सूर्य भगवान ने कहा कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी हनुमान जी अपना ब्रम्हचर्य पालन कर सकते हैं और सुवर्चला विवाह के ठीक बाद तपस्या में लीन हो जाएंगी । ऐसे में हनुमान जी तैयार हो गए और भगवान सूर्य की पुत्री सुवर्चला से उनका विवाह हो गया ।

जैन ग्रंथ पउम चरित में महावीर हनुमान जी की एक अन्य पत्नी का भी उल्लेख हैं जिनका नाम अनंगकुसुमा है।  इस ग्रंथ के अनुसार वरुण देव और रावण के बीच एक युद्ध हुआ था जिसमे वरुण देव की सहायता के लिए हनुमान जी ने रावण को परास्त किया था। रावण ने संधि के फलस्वरुप अपनी पुत्री का विवाह महावीर हनुमान जी से करवा दिया । ये जैन ग्रंथ है इसलिए इस घटना को सनातन धर्म में ज्यादा मान्यता नहीं दी जाती है । इसी ग्रंथ के अनुसार वरुण देव ने अपनी पुत्री का विवाह हनुमान जी से कराया था। इसके अलावा हनुमान जी के एक पुत्र मकरध्वज का भी दक्षिण भारत के कुछ ग्रंथो में उल्लेख मिलता है । वाल्मीकि रामायण, पद्मपुराण , कंब रामायण और तुलसी के रामचरितमानस के अनुसार हनुमान जी की वैवाहिक स्थिति अस्पष्ट ही है।

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