कुबेर

धन- संपत्ति के देवता कुबेर| Kuber Lord of Wealth & Money

धनतेरस के पवित्र पर्व की रात धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में कुबेर को इंद्र, वरुण और यम के साथ चार लोकपालों में एक माना जाता है । कुबेर को धन और संपत्ति का देवता माना जाता है और इनका निवास स्थान गंधमादन पर्वत के समीप अलकापुरी में है। कुबेर एक पराक्रमी और महान देवता की तरह रामायण और महाभारत मे वर्णित हैं।

धनतेरस, कुबेर यक्षों के देवता हैं

कुबेर सिर्फ यक्षों के देवता ही नहीं हैं, इन्हें यक्षों के साथ- साथ राक्षसों, गंधर्वों, अप्सराओं और पिशाचों का देवता भी माना जाता है। महाभारत और रामायण में यक्षों और राक्षसों की उत्पत्ति की कथा दी गई है।

वाल्मीकि रामायण के ‘उत्तरकांड’ के अनुसार जब ब्रह्मा ने जल के अंदर रहने वाले जंतुओं की सृष्टि की तो इनकी देखभाल के लिए एक नए प्रकार के प्राणियों की भी सृष्टि की। इन प्राणियों में कुछ ने जल के अंदर रहने वाले जंतुओं की रक्षा का भार अपने उपर ले लिया और ‘राक्षस’ के नाम से विख्यात हुए ।

कुछ प्राणियों ने जल के अंदर रहने वाले जंतुओं को यजन( यज्ञ करना), पूजा और संस्कार सिखाने का दायित्व लिया और ‘यक्ष’ कहलाए। ब्रह्मा ने कुबेरको इन्हीं राक्षसों और यक्षों का अधिपति बनाया। ब्रह्मा ने कुबेर को विश्वकर्मा के द्वारा निर्मित सोने की लंका दे दी और साथ में हवा में उड़ने वाला पुष्पक विमान भी दिया।

रावण कुबेर का सौतेला भाई था

कुबेर के पिता का नाम विश्रवा ऋषि था। विश्रवा के पिता ऋषि पुलस्त्य थे। ऋषि पुलस्त्य ब्रह्मा के मानस पुत्र कहे जाते हैं। इस संबंध से ब्रह्मा कुबेर और रावण दोनों के परदादा थे। जब ब्रह्मा ने कुबेर को लंका का राजा बना दिया और वो राक्षसों और यक्षों के अधिपति बन गए तो कुछ राक्षसों ने उनका विरोध शुरु कर दिया। इन राक्षसों के नेता सुबाहु , माल्यवान और सुमाली थे। इन लोगों ने लंका पर हमला कर दिया । भगवान विष्णु ने कुबेर की रक्षा की और राक्षसों को लंका से बाहर भगा दिया।

 इन राक्षसों में सुमाली प्रमुख था । सुमाली ने अपनी बेटी कैकशी को ऋषि विश्रवा के पास पराक्रमी पुत्र प्राप्ति के लिए भेजा। कैकशी ने सूर्यास्त के वक्त विश्रवा के सामने पुत्र प्राप्ति के लिए सहवास का प्रस्ताव रखा। विश्रवा ने कैकशी के इस प्रस्ताव को बुरा समझ कर 2 दुष्ट लेकिन पराक्रमी पुत्रों और 1 दुष्ट पुत्री होने का वरदान दिया।

कैकशी के ये 2 दुष्ट पुत्र रावण और कुंभकर्ण थे और दुष्ट पुत्री का नाम शूर्पनखा था। कैकशी के आग्रह पर विश्रवा ने एक धार्मिक पुत्र प्रदान करने का भी वरदान दिया । इस धार्मिक पुत्र का नाम विभीषण हुआ।

रावण जब बड़ा हुआ तो उसने अपने नाना सुमाली के साथ लंका पर हमला कर दिया और अपने सौतेले भाई कुबेर को वहां से भागने पर मजबूर कर दिया। रावण और कुबेर की शत्रुता जारी रही। कुबेर कैलाश आकर रहने लगे और वहीं उन्होंने अलकापुरी नगरी बसाई। रावण ने कुबेर से उनका पुष्पक विमान भी छीन लिया था।

रावण बलात्कारी था

रावण ने कुबेर के बेटे नलकुबेर की पत्नी अप्सरा रंभा के साथ बलात्कार किया, जो रिश्ते में रावण की बहू लगती थी। नलकुबेर ने रावण को शाप दिया था, कि बिना किसी स्त्री की मर्जी के वो किसी स्त्री के साथ कोई शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर सकता है। अगर रावण ने बिना मर्जी के किसी स्त्री के साथ कोई संबंध बनाया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

यही वजह थी कि रावण सीता के साथ दूरी बना कर ही रखता था और बिना उनकी मर्जी के जबरन विवाह का विचार भी नहीं करता था। रावण को हमेशा भय लगता था कि सीता के समीप जाने पर उसकी मृत्यु हो जा सकती है।

कुबेर शिव के सखा हैं

महाभारत और रामायण मे कुबेर और भगवान शिव के बीच मधुर संबंध दिखाया गया है। कुबेर को भगवान शिव का सखा कहा जाता है। संस्कृत के कई काव्यों में शिव-पार्वती के बीच नोंक-झोंक के प्रसंग हैं, जिसमें पार्वती शिव जी की निर्धनता और वैरागी होने पर व्यंग्य कसती हैं। पार्वती शिव से कहती हैं कि “तुम्हारे मित्र धन के देवता कुबेर हैं उनसे ही धन मांग लिया करो।“ लेकिन शिव कभी कुबेर से धन नहीं मांगते, बल्कि वो कुबेर की हमेशा रक्षा ही करते रहे ।

कुबेर को पार्वती का शाप

हालांकि कुबेर शिव के सखा हैं, लेकिन उन्हें माँ पार्वती का क्रोध झेलना पड़ा। कथा है कि कुबेर की तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव और उमा ने उन्हें दर्शन दिये तो कुबेर माँ पार्वती के सौंदर्य को अपलक देखते रहे। इससे माँ पार्वती थोड़ी क्रोधित हो गईं और उन्होंने कुबेर को एक आँख से काना कर दिया और दूसरी आँख में भी धुआँ डाल दिया । इसके बाद से कुबेर एक आँख से काने हो गए हैं।

कुबेर कहाँ रहते हैं

शिव जिस कैलाश पर रहते हैं, वो स्थान कुबेर का ही इलाका है। कुबेर को कैलाश मानसरोवर के पास गंधमादन पर्वत पर निवास करते दिखाया गया है। इसी इलाके में एक केले का वन हैं जिसे ‘कदली वन’ कहा जाता है। इस कदली वन में ही आज भी हनुमान निवास करते हैं। हनुमान और भीम की मुलाकात भी इसी कदली वन में हुई थी । कुबेर की सेना के साथ भीम का युद्ध भी हुआ था। कुबेर की राजधानी का नाम अलकापुरी है और वो इंद्र की अमरावती नगर की तरह ही सुंदर है।

कुबेर इंसान की सवारी करते हैं

रामायण और महाभारत में कुबेर को इंसान की सवारी करते हुए दिखाया गया है। महाभारत के कई स्थानों पर उन्हें नरवाहन कहा गया है, अर्थात जिनका वाहन इंसान है। महाभारत के वन पर्व का ये श्लोक हैं –

अप्सरोभि: परिवृत: समृध्या नरवाहन:
इह: वैश्रवनास्तात पर्वसन्धिषु दृश्यते।।

अर्थ: हे तात ! पर्वों की संधि से समय यहाँ मनुष्यों पर सवार होने वाले कुबेर अप्सराओं से घिर कर अपने अतुल वैभव के साथ दिखाई देते है।

इसका अर्थ ये है कि धन अक्सर इंसान के लिए सुख का माध्यम नही रहता बल्कि धन ही इंसान को अपने इशारों पर चलाने लगता है। धन के पीछे भागने वाले अक्सर धन के गुलाम हो जाते हैं और धन ही उनका शोषण करने लगता है।

कुबेर को एक आँख के अंधा दिखाया गया है। इसका अर्थ ये भी है कि कुबेर धन देने में अच्छे या बुरे कर्म वालों में भेद नहीं करते। वो किसी को भी धन दे देते हैं। इसीलिए दुष्टों के पास भी धन अक्सर पाया जाता है।

कुबेर के पास अपना पुष्पक विमान भी है । इस विमान को कई भूत चलाते हैं और ये मन की गति से कहीं भी आ जा सकता है। रावण ने कुबेर से पुष्पक विमान छीन लिया था। लेकिन जब रावण का वध हो गया तो श्रीराम ने कुबेर को उनका पुष्पक विमान लौटा दिया।

कुबेर सिर्फ धन नहीं देते

कुबेर वैसे तो धनाध्यक्ष हैं लेकिन वो सिर्फ धन ही नहीं देते बल्कि उन्नति करने का मंत्र भी देते हैं। कुबेर के हाथ में एक पोटली रहती है। इस पोटली में धन नहीं रहता, बल्कि खेती के लिए बीज रहते हैं। इस बीज से वो खेतों में उत्पादन करने की प्रेरणा देते है। यानी कुबेर सिर्फ बीज देते हैं, उस बीज से पूंजी का उत्पादन आपको अपने कर्मों के आधार पर ही करना होता है।

कुबेर का बीजों से जुड़ाव हमारी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था को भी दिखाता है जो सभी पर्वों से पूरी तरह से जुड़ी हुई है। सनातन धर्म के सभी पर्व किसी न किसी प्रकार फसलों की कटाई, जुताई, बोवाई से ही जुड़े हुए है। कुबेर का एक वाहन नेवला भी है । नेवला खेतों में पाया जाता है और खेती का नुकसान करने वाले चूहों और दूसरे प्राणियों को खाता है । ये भी कुबेर के कृषि देवता से जुड़े होने की बात को सिद्ध करते हैं।

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