शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2 : कर्म योग का ज्ञान। Bhagavad Gita: Chapter 2: Karma Yoga

शुद्ध श्रीमद्भगद्गीता में भगवान अर्जुन को अध्याय 2 के श्लोक 16 से 30 तक सत् (Eternal Essence of the Universe) का ज्ञान देते हैं। इसे ही श्रीमद्भगवद्गीता में ‘ज्ञानयोग’ कहते हैं। अर्जुन के समक्ष सबसे बड़ा संकट यह है कि वो आखिर युद्ध करे तो कैसे करे? वो अपने ही स्वजनों के रक्त से अपने हाथ नहीं रंगना चाहता। वो …

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भगवान विष्णु शयन क्यों करते हैं

भगवान विष्णु सनातन धर्म की सर्वोच्च ईश्वरीय सत्ता के रुप में पूजे जाते हैं। लेकिन हम अक्सर पुराणों में पढ़ते हैं कि भगवान विष्णु शेषशय्या पर शयन करते रहते हैं। भगवान विष्णु योगनिद्रा के वश में आकर शयन करते दिखाए जाते रहे हैं। आखिर भगवान विष्णु शयन क्यों करते हैं? क्या है भगवान विष्णु के योगनिद्रा में शयन करने का …

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सनातन धर्म के महान रक्षक पूज्य गुरु श्री गोबिंद सिंह जी

शुद्ध सनातन धर्म अपने कई संप्रदायों के लिए विख्यात है । सिख संप्रदाय भी सनातन धर्म का अभिन्न हिस्सा रहा है। यदि प्रथम पूज्य गुरु नानक जी ने सनातन धर्म की अद्वैत पंरपरा से खुद को जोड़ा तो दशमेश पूज्य गुरु गोबिंद सिंह जी ने भक्ति और निर्गुण दोनों ही सनातनी परंपरा से सिख संप्रदाय को जोड़ दिया। पूज्य गुरु …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2: क्षत्रिय धर्म और युद्ध की आवश्यकता।Bhagavad Gita: necessity of War

अक्सर ये आरोप लगाया जाता रहा है कि श्रीमद्भगवद्गीता युद्ध के लिए प्रेरित करती है। विधर्मियों और दूसरे धर्म के लोगों के द्वारा ये आरोप लगाया जाता रहा है कि श्रीमद्भगवद्गीता शांति का शास्त्र नहीं है, बल्कि ये युद्ध और हिंसा को बढ़ावा देती है। लेकिन कभी किसी ने इस बात का विश्वलेषण नहीं किया कि किन हालातों में युद्ध …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता: अध्याय 2- सत् या गॉड पार्टिकल्स। Bhagavad Gita and God Particles

श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 2 (Chapter 2) के श्लोक 16- 30 में भगवान ने अर्जुन को ज्ञानयोग के बारे में बताया है। इस ज्ञानयोग को ही सांख्य योग भी कहा जाता है। सांख्य योग के बारे मे भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को विस्तार से बताते हैं। कई विद्वानों के अनुसार भगवान ने इस योग के द्वारा ‘आत्मा’ के अजर, अमर और अविनाशी …

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शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता,अध्याय 2 :गीताशास्त्र का ज्ञान। Start of Bhagavad Gita

शुद्ध श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 2( Chapter 2) के श्लोक 11 से पहली बार भगवान अर्जुन को वह ज्ञान देना प्रारंभ करते हैं, जिसे हम ‘गीताशास्त्र’ के नाम से जानते हैं। इसके पहले के अध्याय 1( Chapter 1) और अध्याय 2( Chapter 2) के श्लोक 10 तक मूल रुप से श्रीमद्भगवद्गीता में धृतराष्ट्र का इकलौता प्रश्न, संजय के द्वारा युद्धभूमि में …

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मकर संक्रांति के दिन भीष्म पितामह ने देहत्याग नहीं किया था। Bhishma Not died on Makar Sankranti

मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। आमतौर पर ये माना जाता है कि महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही अपने शरीर का त्याग किया था। लेकिन ये सच नहीं है। भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतज़ार जरुर …

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शिव करते हैं हमारी सांसो को शुद्ध

शुद्ध सनातन धर्म में देवाधिदेव महादेव शिव को सभी सिद्धियों और विज्ञानों को उत्पन्न करने वाली ईश्वरीय सत्ता के रुप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी ने महाशक्ति मां जगदंबा पार्वती जी को सभी गुप्त सिद्धियों का ज्ञान दिया था जिन्हें आज हम जानते हैं। इन वैज्ञानिक और सिद्ध गुप्त सिद्धियों में स्वरोदय विज्ञान को सबसे …

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आखिर क्यों श्री कृष्ण और राधा का विवाह नहीं हुआ

भगवान श्री हरि विष्णु के पूर्णावतार भगवान श्री कृष्ण और साक्षात जगदंबा माता लक्ष्मी की अवतार राधा रानी के प्रेम की कथा पूरे ब्रम्हांड में अमर प्रेम की कथा के रुप में जानी जाती है। राधा – कृष्ण का प्रेम शुद्ध सनातन धर्म में शुद्ध और अलौकिक प्रेम की पराकाष्ठा है। लेकिन साथ ही ये सवाल भी सदियों से शुद्ध …

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Diwali|Lakshmi Vishnu Devotee Ravan|लक्ष्मी विष्णु का भक्त था रावण

दिवाली की रात लक्ष्मी की पूजा की जाती है। देवताओं और इंसानों के साथ राक्षस भी लक्ष्मी के भक्त कहे जाते हैं। एक मान्यता ये भी है कि लक्ष्मी के पिता एक राक्षस थे जिनका नाम पुलोमा था। लक्ष्मी को ऋषि भृगु और उनकी पत्नी पुलोमा की संतान भी माना जाता है । इसी वजह से संभवतः पुलोमा राक्षस और …

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शिव पार्वती विवाह के चार महान रहस्य

शुद्ध सनातन धर्म में देवों के देव महादेव और आदि जगदंबा माता पार्वती का विवाह सिर्फ एक दैविक घटना ही नहीं थी बल्कि इसके चार ऐसे महान उद्देश्य थे जिनसे आज भी कई भक्त अनजान हैं। शुद्ध सनातन आपके लिए ले कर आया है महाशिवरात्रि के अवसर पर इन चारों महान उद्देश्यों का रहस्योद्घाटन। पौराणिक ग्रंथों के अध्ययन से जो …

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ऊं नम: शिवाय – शुभता और कल्याण का महामंत्र

ऊं नम: शिवाय इस मंत्र से शुद्ध सनातन धर्म से जुड़ा हरेक व्यक्ति परिचित है, देवाधिदेव महादेव भोलेनाथ औघड़दानी शिव शँकर जी का यह मंत्र पांच अक्षरों का है और इसे सिद्ध पंचाक्षर मंत्र कहा जाता है, जिस प्रकार महामृत्युंजय मंत्र को यजुर्वेद और पुराणों में महामंत्र की संज्ञा दी गई है, इस सिद्ध पंचाक्षर मंत्र को भी मंत्रराज की …

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Dev deepawali of Banaras: बनारस की देव दीपावली का विष्णु और शिव से संबंध

बनारस की देव दीपावली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के पावन अवसर पर बनारस के गंगा तट पर धूमधाम से देव दीपावली मनाने की प्रथा हज़ारों सालों से चली आ रही है। इस पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन काशी के गंगा तट पर सम्सत देवी देवता देव दीपावली मनाने के लिए …

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देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह की कथा। Devuthani Ekadashi and Tulsi Vivah

देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह की परंपरा है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने तुलसी अर्थात वृंदा से इसी दिन विवाह किया था। इसी लिए देवउठनी एकादशी के बाद से ही हिंदू धर्म में विवाह के मूहूर्त निकाले जाते हैं। तुलसी विवाह को हिंदू धूमधाम से मनाते हैं लेकिन इस कथा को लेकर एक भ्रम …

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माता सीता के जन्म की कथा

शुद्ध सनातन में जहां श्री राम के जन्म की कथा जगविदित है वहीं माता सीता के जन्म की कथा को लेकर कई रहस्य छिपे हुए हैं। अलग- अलग राम कथाओं में माता सीता के जन्म की कथा अलग-अलग मिलती है। हालांकि एक बात सभी राम कथाओं में समान है कि माता सीता राजा जनक की जन्मना पुत्री नहीं थीं और उन्हें …

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