श्रीकृष्ण के जन्म की असली तिथि क्या है | What is the real date of birth of Shri Krishna

सनातन धर्म में श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है । भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रुप में द्वापर युग में अवतार लिया था और धर्म की संस्थापना के लिए दुष्टों का संहार किया था। आम तौर पर श्रीकृष्ण के अवतरण या जन्म की तिथि भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि की रात को माना जाता है । लेकिन इसको लेकर भी मतभेद है।

क्या श्रीकृष्ण का जन्म भादो के महीने में हुआ था?

श्रीकृष्ण के चरित्र को लेकर सबसे ज्यादा प्रामाणिक ग्रंथों में महाभारत, श्रीमद्भावगत महापुराण और हरिवंश पुराण को माना जाता है । हरिवंश पुराण को महाभारत का विस्तार भी माना जाता है जिसमें भगवान विष्णु के सभी अवतारों विशेष कर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और कार्यों का विस्तार से वर्णन है ।

महाभारत में श्रीकृष्ण के जन्म की तिथि और उनके बाल्यकाल का कोई विवरण नहीं मिलता है । श्रीमद्भावगत महापुराण के दशम स्कंध में जरुर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का विवरण मिलता है लेकिन आश्चर्यजनक रुप से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म किस महीने में हुआ था ,इसको लेकर श्रीमद्भभावगत महापुराण मौन है।

हरिवंश पुराण में भी श्रीकृष्ण के जन्म की कथा मिलती है लेकिन यहाँ भी ये नहीं बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म किस महीने में हुआ था श्रीमद्भावत महापुराण सिर्फ ये बताया गया है कि श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि के पहर में शुभ नक्षत्र था और ग्रह और तारे सभी शुभता के साथ स्थित थे। हरिवंश पुराण में भी यही कहा गया है कि श्रीकृष्ण का जन्म एक शुत्र रात्रि में एक विशेष मूहूर्त में हुआ था । लेकिन इन दोनों ही ग्रंथो में श्रीकृष्ण के जन्म का महीना नहीं बताया गया है ।

क्या श्रीकृष्ण का जन्म सावन के महीने में हुआ था?

हालांकि महाभारत श्रीकृष्ण के जन्म की घटना का कोई विवरण नही देता , श्रीमद्भावतम और हरिवंश पुराण में भी श्रीकृष्ण के जन्म के महीने का कोई श्लोक या विवरण नहीं मिलता , फिर भी  आज के हिंदू भादो के महीने में ही श्रीकृष्ण का जन्म मानते हैं।

लेकिन अगर कुछ और ग्रंथो के श्लोकों को पढ़ा जाए तो उसमें ये कहा गया है कि सावन के महीने में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

श्रावणे मासि पक्षे च कृष्णेऽष्टम्यां प्रजापतेः।
नक्षत्रे वसुदेवस्य देवक्यां भगवान् हरिः॥
सर्वलोकहितार्थाय भूमेर्भारावतारणम्।
कर्तुमाविरभूद्भूमौ मध्यरात्रे महामते॥

(विश्वामित्रसंहिता, अध्याय – १६, श्लोक – ६५-६६)

पुराणों में श्रीकृष्ण के जन्म को लेकर मतभेद

विश्वामित्र संहिता का ये श्लोक ये कहता है कि  श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जब प्रजापति (ब्रह्मा) का नक्षत्र  था, तब आधी रात को सभी लोकों का कल्याण करने के लिए और पृथ्वी का भार कम करने के लिए वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान का अवतार हुआ ।

द्वापरे समनुप्राप्ते विरोधिवत्सरे शिवे।
श्रावणे चाष्टमी शुक्ला बुधरोहिणीसंयुता॥
वज्रयोगे मध्यरात्रौ पूर्णः कृष्णो हरिः स्वयम्।
कंसस्य च वधार्थाय अर्जुनस्य हिताय च॥

(शक्ति संगम महातन्त्र राज, छिन्नमस्ताखण्ड, पटल – 06, श्लोक – 63-54)

शक्ति संगम  महातंत्र का ये श्लोक कहता है कि  द्वापरयुग के आने पर विरोधी नामक सम्वत्सर में जब सावन के महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी की तिथि थी और वो दिन बुधवार का था और उस वक्त आधी रात को रोहिणी नक्षत्र का शुभ समय था उस वक्त वज्रयोग जैसे अति शुभ योग में आधी रात को ही स्वयं भगवान श्रीहरि विष्णु  अवतार लेकर कंस का वध करने और अर्जुन का हित करने के लिए श्रीकृष्ण रुप में पधारे।

स्कंद पुराण जो सभी पुराणों में सबसे बड़ा माना जाता है , उसमें में सावन के महीने में ही भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बारे में श्लोक मिलते हैं

जयं पुण्यञ्च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः।
रोहिणीसहिता कृष्णा मासे च श्रावणेऽष्टमी॥
अर्द्धरात्रादधश्चोर्द्ध्वं कलयापि यदा भवेत्।
जयन्ती नाम सा प्रोक्ता सर्वपापप्रणाशिनी॥

स्कंद पुराण के इस श्लोक के अनुसार सावन के महीने की अष्टमी तिथि थी, रात का वक्त था और आकाश में रोहिणी नक्षत्र विराजमान था, उस पुण्य काल में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म किस तिथि को हुआ था


श्रीमद्भागवत महापुराण और हरिवंश पुराण भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की तिथि के बारे में स्पष्ट रुप से कुछ नहीं कहते । श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से संबंधित दो श्लोक महत्वपूर्ण हैं –

अथ सर्वगुणोपेतः कालः परमशोभनः।
यर्हि एव अजनजन्मर्क्षं शान्तर्क्ष-ग्रहतारकम।।

(श्रीमद्भागवत पुराण, स्कंध 10, अध्याय 3, श्लोक 1)

इस श्लोक में शुकदेव जी राजा परीक्षित को कहते हैं कि  – “अब समस्त शुभ गुणों से युक्त सुहावना समय आया जब उसका जन्म होने वाला था जो अजन्मा( श्रीकृष्ण) है । इस काल में सभी नक्षत्र, ग्रह और तारे शांत और सौम्य हो रहे थे।“

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण का जब जन्म होता है तो इस समय के बारे में श्रीमद्भागवत महापुराण का ये श्लोक कुछ ऐसा कहता है –

निशीथे तमउद्बूते जायमाने जनार्दने।
देवक्यां देवरुपिण्यां विष्णुः सर्वगुह्यशयः।
आविरासीद् यथा प्राच्यां दिशीन्दुरिव पुष्कलः।।

(श्रीमद्भागवत पुराण, स्कंध 10, अध्याय 3, श्लोक 8) श्रीमद्भागवत महापुराण के दसवें स्कंध के अध्याय 3 के श्लोक 8 में ये कहा गया है कि – “ उस रात में उन जनार्दन( विष्णु) के जन्म का समय आया। चारों तरफ अँधकार का साम्राज्य था। उसी समय सबके ह्दय में विराजमान विष्णु देवरुपिणी देवकी के गर्भ से प्रगट हुए , जैसे पूर्व दिशा में सोलहों कलाओं से पूर्ण चंद्रमा का उदय हुआ हो।“

स्पष्ट है कि श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रीकृष्ण के न तो जन्म की तिथि बताई गई है और न ही उनके जन्म का नक्षत्र , लेकिन श्री हरिवंश पुराण श्रीकृष्ण के जन्म का नक्षत्र. मुहूर्त दोनों के बारे में बताता है –  

भिजिन्नाम नक्षत्रं जयन्ती नाम शर्वरी।
मुहूर्तो विजयो नाम यत्र जातो जनार्दनः॥

(हरिवंशपुराण, विष्णुपर्व, अध्याय – 04 – श्लोक – 17)

हरिवँश पुराण के इस श्लोक के अनुसार जब भगवान् जनार्दन (विष्णु) का अवतार हो रहा था, उस नक्षत्र का नाम अभिजित्, रात्रि का नाम जयन्ती और मुहूर्त का नाम विजय था। लेकिन आश्चर्य की बात यहां भी यही है कि श्रीकृष्ण के जन्म की तिथि नहीं बताई गई है और न ही महीना बताया गया है ।

हालांकि हमनें इस लेख में विश्वामित्र संहिता और स्कंद पुराण और कुछ ग्रंथों के अनुसार ये दिखाया है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म सावन के महीने में अष्टमी की तिथि को ही हुआ था। ये भी स्पष्ट नहीं है कि अष्टमी की तिथि शुक्लपक्ष की है या फिर कृष्ण पक्ष की ।

ये हो सकता है कि महीने और पक्षो में कुछ हजार सालो में परिवर्तन होता रहता हो और इसलिए ये भ्रम आज भी बना हुआ है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आखिरकार किसी तिथि और किस महीने हुआ था। इस पर शोध जारी है ।

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