शुद्ध सनातन धर्म में गो माता को जानवर नहीं बल्कि माता के रुप में पूजा गया है। समस्त ग्रंथ गाय को माता कहते हैं और मान्यता है कि सभी 33 कोटि देवी देवताओं का वास गो माता के शरीर में होता है।सनातन ग्रंथो में गो माता को विश्व की माता कहा गया है –
गावो विश्वस्य मातर:
श्री राम हैं सबसे बड़े गो माता के रक्षक :
भगवान श्री राम को गो माता का सबसे बड़ा रक्षक भी बताया गया है श्री राम चरिमानस में उनके अवतरण का एक बड़ा कारण गोमाता की रक्षा को बताया गया है
गो द्विज धेनु देव हितकारी, कृपा सिंधु मानुष तनुधारी !!
श्री कृष्ण हैं गोपालक :
- भगवान श्री हरि कृष्ण को तो सारे ग्रंथो में गोपालक के रुप में दिखाया गया है।
- श्री कृष्ण की बाल लीला गोमाता के ईर्द गिर्द ही हुई है। उन्हें गोविंद, गोपाल कह कर बार बार पुकारा गया है।
- श्री कृष्ण को गो माता से बने सारे उत्पादों का सेवन करते दिखाया गया है। व्रज के कवियों ने तो कृष्ण की माखन चोरी पर असंख्य कविताओं की रचना कर दी ।
गोमाता का दूध है अमृत :
सनातन ग्रंथो में गो माता से उत्पन्न सारे उत्पादों को अमृत की संज्ञा दी गई है। ऋग्वेद , अर्थववेद , आयुर्वेद , सुश्रुत संहिता और चरक संहिताओं में विस्तार से गो माता से उत्पन्न पदार्थों के औषधिय उपाय बताए गए हैं। हालांकि वैज्ञानिक इस बात से पूरी तरह से सहमत नहीं हैं कि गो मूत्र के सेवन के कितने लाभ हैं लेकिन देसी गायों के दूध और उससे बने उत्पादों को लेकर वैज्ञानिक भी एकमत हैं कि इनसे शरीर को सभी प्रकार के प्रोटिन, विटामिन्स और धातु पाए जाते हैं जो स्वस्थ मनुष्य के शरीर के लिए उपयोगी हैं।
गोअर्क से कोराना ठीक होने का दावा :
कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया पीड़ित है ऐसे में भारत के कुछ संस्थाओं ने दावा किया गया है कि गो मूत्र और गो अर्क से सेवन से कोरोना वायरस से मुक्ति पाई जा सकती है। शुद्ध सनानत ऐसे किसी भी दावों के सही या गलत होने का समर्थन या विरोध नहीं करता है लेकिन जिन भी ग्रंथों में गो मूत्र और गो अर्क के औषधीय गुणों का उल्लेख हुआ है उससे आपको अवगत जरुर कराना चाहता है।
अथर्ववेद में गोमूत्र के फायदे :
अर्थववेद की कई ऋचाओं में गो अर्क और गो मूत्र के फायदे बताए गए हैं । अर्थव वेद की ऋचा 6.44.3 इस पर क्या कहती है देखिए –
रुद्रस्य मूत्रमस्यमृतस्य नाभि:।
विषाणाका नामवा असि पितृणां मूलादुत्थिता वातिकृत नाशनानी ।।
अर्थात : हे गो अर्क तुम सभी किटाणुओं और विषाणुओं को मारने में सक्षम हो, तुमने आनुवाशिंक रोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है। तुम दीर्घ जीवन देने वाली हो ।
गो माता के उत्पादों से बने पंचगव्य को सभी रोगों का शमन करने वाला बताया गया है –
यत्वगस्थिगतं पापं देहे तिष्ठति मामके ।
प्राशनात्पंचगव्यस्य दहत्यग्निरिवेन्धनम ।।
अर्थात : मेरी त्वचा से लेकर हड्डियों तक पंचगव्य से सेवन से सभी रोगों का नाश उसी प्रकार से हो जैसे अग्नि लकड़ी को जला कर भष्म कर देती है ।