मातंगी

Maa Matangi 9th Superpower of 10 Mahavidyas | मां मातंगी नवम महाशक्ति

दलितों की मां हैं मां मातंगी : शुद्ध सनातन धर्म मानव मात्र की समानता और समाज के अंतिम व्यक्ति को अराधना का अधिकार देता है। गुप्त नवरात्रि के नवम रात्रि को मां मातंगी की विशेष पूजा की जाती है। मां मातंगी समानता की देवी हैं। वो श्मशान में वास करती हैं। उनकी पूजा के लिए कोई विशेष नियम और शुद्धि की आवश्यकता नहीं हैं।

जूठा भी खा लेती हैं मां मातंगी :

मां मातंगी को जूठा भोजन भी प्रसाद के रुप में चढ़ाया जाता है। मां मातंगी माता पार्वती की स्वरुप भी मानी जात हैं। भगवान शिव का एक अन्य नाम मतंग भी है। मतंग इसलिए क्योंकि भगवान शिव किसी भी नियम और कानूनों से खुद को बांध कर नहीं रखते ।  मां पार्वती भी भगवान शिव के इसी स्वरुप को स्त्री रुप में मां मातंगी के रुप में धारण करती हैं और बिना किसी विधि विधान के भी पूजित होने पर वरदान दे सकती हैं।

मां मातंगी को चांडालिनी भी कहा जाता है। क्योंकि वो श्मशान में रहती हैं और उच्छिष्ठ भोजन प्रसाद के रुप में धारण करती हैं । कथा है कि एक बार भगवान विष्णु भोलेनाथ और मां पार्वती के लिए भोजन लेकर आए । भगवान शिव और माता पार्वती के उस भोजन से कुछ भाग पृथ्वी पर गिरे। उस जूठे भोजन से देवी का एक स्वरुप प्रगट हुआ जो चांडालिनी मांतगी के रुप में जानी गईं।

सरस्वती का स्वरुप हैं मां मातंगी :

दस महाविद्याओ में मां मातंगी को माता सरस्वती का रुप माना जाता है। वो माता सरस्वती की तरह वीणा धारण करती हैं। माता मातंगी मां सरस्वती की तरह विद्या, बुद्धि और कला की देवी हैं। उनकी अराधना से समस्त विद्याओं और कलाओं की प्राप्ति होती हैं। माता के साथ तोता भी है जो सासांरिक ज्ञान का प्रतीक है।

मातंगी

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भगवान बुद्ध की अवतार हैं मां मातंगी :

तंत्र शास्त्र में मां मातंगी की अराधना कर वशीकरण और दूसरी तंत्र विद्याओं की सहज सिद्धि हो सकती है। मां मातंगी को गुह्यातिगुह्य तंत्र के मुताबिक भगवान विष्णु के नवम अवतार बुद्ध दरअसल मां मातंगी के ही स्वरुप हैं। बौद्ध धर्म में भी मां मातंगी की पूजा की जाती है।

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