शुद्ध सनातन धर्म में आद्या शक्ति के जिन 10 महाविद्या रुपी स्वरुपों का वर्णन है, उसमें माँ छिन्नमस्ता छठी महाशक्ति हैं। माँ छिन्नमस्ता का स्वरुप तंत्र के महान रहस्यों को उद्घाटित करता है। शाक्त ग्रंथों और शाक्त तंत्र की पुस्तकों में माँ छिन्नमस्ता को कामदेव और रति के उपर विराजित दिखाया गया है। माँ ने अपने ही सिर को अपने ही खड़ग से काट कर अपने हाथ में ले रखा है।
माँ के कटे हुए धड़ से रक्त की तीन धाराएं निकल रही हैं। इन तीन धाराओं में से एक धारा का पान उनकी एक सहचरी जया और दूसरी धारा का पान उनकी दूसरी सहचरी विजया कर रही हैं। तीसरी धारा का पान स्वयं माता का सिर कर रहा है। तंत्र और कुंडलिनी विद्या में इन तीन धाराओं को मनुष्य की इड़ा , पिंगला और सुष्मना नाड़ी के रुप में दिखाया गया है। इन तीनों नाड़ियों से परे जाकर ही कुडंलिनी शक्ति को जाग्रत किया जा सकता है और निर्वाण की प्राप्ति की जा सकती है। कामदेव और रति के उपर माता के विराजमान होने से तात्पर्य संसार रुपी माया और वासना से साधक का परे जाना है।
माँ छिन्नमस्ता का संबंध प्रलय से है:
ऐसी कथा है कि एक बार माता पार्वती अपनी दोनों सहचरियों जया और विजया के साथ स्नान कर रही थीं तभी जया और विजया को भूख लग गई, तब माता पार्वती ने अपने ही रक्त से इन दोनों की भूख मिटाई और तीसरी धारा का खुद पान कर अपनी क्षुधा मिटाई। एक मत के मुताबिक मां छिन्नमस्ता का सीधा संबंध प्रलय से है। जब सृष्टि का प्रलय होता है तो आद्या शक्ति खुद भी इसी प्रकार अपने सिर को काट कर प्रलय कार्य को पूरा करती हैं।
माँ छिन्नमस्ता और भगवान नृसिंह :
जिस प्रकार मां त्रिपुर सुंदरी से भगवान विष्णु के जन्म लेने की कहानी श्री ललिता सहस्त्रनाम में आती है, वैसे ही मां छिन्नमस्ता से ही भगवान विष्णु के एक अन्य अवतार नृसिंह भगवान के उत्पन्न होने की मान्यता भी है। ‘गुह्याति गुह्य पुराण’ भगवान विष्णु के दस अवतारों को दस हमाविद्याओं से ही उत्पन्न होने की बात करता है।
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राहु- केतु के प्रकोप से बचाती हैं माँ छिन्नमस्ता :
ज्योतिष शास्त्र में राहु के दोषों का निवारण करने के लिए मां छिन्नमस्ता की पूजा करने का विधान है। वैसे “शाक्त प्रमोद’ नामक महान तंत्र के ग्रंथ में माँ छिन्नमस्ता को सभी सिद्धियों को देने वाली शक्ति के रुप में माना गया है। वर्तमान में झारखंड राज्य के रजरप्पा नामक स्थान पर माँ छिन्नमस्ता का मंदिर है। रजरप्पा मंदिर में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु माँ छिन्नमस्ता के दर्शन के लिए आते हैं।